Justice Yashwant Verma के खिलाफ महाभियोग

By admin
2 Min Read

संसद के मानसून सत्र (Monsoon session) के पहले दिन, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के खिलाफ महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया आज दोपहर से शुरू हो गई। सरकारी आवास से कैश बरामदगी (Cash Recovery) के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 145 सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) को सौंपा गया। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi Highcourt) के जस्टिस यशवंत वर्मा पर सरकारी आवास में आग लगने और करोड़ों के नोट जलने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट में इन-हाउस जांच कमिटी ( In-house Investigation Committee) ने उन्हें दोषी पाया है, जिसे उन्होंने चुनौती दी है।

विभिन्न दलों के सांसदों ने किए हस्ताक्षर

संविधान के अनुच्छेद 124, अनुच्छेद 217 और 218 के तहत कांग्रेस (INC), तेलुगू देशम पार्टी (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), जनता दल सेकुलर (JDS), शिवसेना-एकनाथ शिंदे (Shivsena-Eknath Shinde),  लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-एम (CPI-M), जनसेना पार्टी (Jansena party), असम गण परिषद (AGP) समेत कई दलों के सांसदों ने महाभियोग लाए जाने से जुड़े ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

इन सांसदों ने किए हस्ताक्षर

हस्ताक्षर करने वालों सांसदों में लोकसभा (Loksabha) में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) राहुल गांधी, भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूड़ी, पीपी चौधरी, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल, एनसीपी—एसपी सांसद सुप्रिया सुले सहित कई अन्य दलों के सांसद शामिल हैं।

हटाने के लिए क्या है प्रक्रिया ?

अनुच्छेद (Article) 124(4) और 124(5) सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 217 (हाईकोर्ट) के तहत, न्यायाधीश को राष्ट्रपति (President of India) के आदेश से उनके पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति, संसद के संबोधन के बाद निष्कासन आदेश जारी कर सकते हैं। न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव को, संसद के प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए। एक विशेष बहुमत उस सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उस सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत है।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *