इंदौर की सोनम हो या मेरठ की मुस्कान… दोनों की कहानियाँ सुनने में अलग लग सकती हैं, मगर अंजाम एक जैसा था — अपने पति की हत्या। वजह? मोहब्बत। लेकिन यह कहानी सिर्फ दो औरतों की नहीं है। यह उस प्रवृत्ति का आइना है, जो बीते कुछ वर्षों में रिश्तों के भीतर पनपती खामोश हिंसा और नफरत को सामने ला रही है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), राज्य स्तरीय क्राइम डेटा और विभिन्न विश्वसनीय रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते 5 वर्षों में भारत के पाँच प्रमुख राज्यों — उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश — में ऐसे 785 मामले दर्ज किए गए, जिनमें पतियों की हत्या उनकी पत्नियों द्वारा की गई या उनके प्रेमियों के साथ मिलकर करवाई गई।
मोहब्बत या हत्या का बहाना?
2024 में दर्ज हुए 186 केस,
2023 में 166,
2022 में 166,
2021 में 145,
2020 में 122 मामले
ये आँकड़े सिर्फ नंबर नहीं हैं — ये टूटे रिश्तों, खोए विश्वास और बदलते सामाजिक समीकरणों की दर्दनाक तस्वीर हैं।
सोनम और मुस्कान: दो चेहरे, एक प्रवृत्ति
सोनम (इंदौर): शादी के बाहर चल रहे प्रेम संबंधों में पति रोड़ा बना, तो उसे रास्ते से हटाने का फैसला लिया। पुलिस के मुताबिक, सोनम ने पहले अपने पति को शराब पिलाकर बेहोश किया और फिर प्रेमी के साथ मिलकर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
मुस्कान (मेरठ): दो साल पुरानी शादी के बीच प्रेमी की एंट्री हुई, और कुछ ही हफ्तों में पति की बेरहमी से हत्या कर दी गई। पूरा प्लान सोच-समझकर तैयार किया गया — पहले संबंधों को गहरा किया, फिर विश्वास को तोड़ते हुए जान ले ली।
रिश्तों की टूटन और उसके पीछे की वजहें
इन मामलों की तह में जाने पर कुछ सामान्य कारण सामने आते हैं:
एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर
घरेलू हिंसा या कलह
संपत्ति या आर्थिक विवाद
भावनात्मक दूरी और संवादहीनता
ईगो क्लैश और पजेसिवनेस
रिश्ते जब संवाद से कट जाते हैं, तो संदेह और घुटन उनका स्थान ले लेते हैं। और यही घुटन कई बार खतरनाक नतीजों में बदल जाती है।

ये सिर्फ अपराध नहीं, सामाजिक विघटन की चेतावनी है
इन हत्याओं में मरता सिर्फ एक इंसान नहीं है — एक पूरा परिवार बिखर जाता है। मासूम बच्चे अनाथ हो जाते हैं, माता-पिता सदमे में चले जाते हैं, और समाज के सामने खड़ा होता है एक गूढ़ सवाल: क्या हम रिश्तों को निभाने के बजाय उनसे भागने लगे हैं?
‘प्यार’ अब एक बहाना बनता जा रहा है?
जब प्यार का नाम लेकर हत्या की जाती है, तो सवाल उठता है —क्या वो वास्तव में प्यार था? या फिर एक स्वार्थ, एक नियंत्रण की भावना, जो जब पूरी नहीं होती, तो क्रूरता का रूप ले लेती है?
हमारे समाज को अब इन घटनाओं को सिर्फ “मर्डर मिस्ट्री” की तरह नहीं, बल्कि रिश्तों के बदलते स्वरूप और सामाजिक तनावों की गहराई से जांचने की ज़रूरत है।
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