Jaipur में कचरे से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट शुरू, 900 टन कचरे से 230 मेगावाट बिजली उत्पादन
Jaipur में कचरे से बिजली बनाने का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। यह वेस्ट टू एनर्जी प्लांट Jaipur नगर निगम द्वारा लांगड़ियावास में स्थापित किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य कचरे से बिजली उत्पादन करके न केवल ऊर्जा संकट को हल करना है, बल्कि कचरे के निस्तारण की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम है। इस प्रोजेक्ट के तहत हर दिन 900 टन कचरे से 230 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है।
प्लांट की क्षमता और बिजली उत्पादन
Jaipur नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इस प्लांट की कुल क्षमता 288 मेगावाट प्रतिदिन है। हालांकि, फिलहाल इसका उत्पादन 230 मेगावाट है, लेकिन जल्द ही यह प्लांट पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन करने में सक्षम होगा। प्लांट से उत्पन्न बिजली को Jaipur डिस्कॉम को 7.31 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बेचा जाएगा। इस प्रोजेक्ट की सफलता से न केवल Jaipur को ऊर्जा मिल रही है, बल्कि कचरा निस्तारण की समस्या को भी हल किया जा रहा है।
स्मार्ट सिटी पहल और इंटर्नेशनल सराहना
इस प्रोजेक्ट को लेकर हाल ही में Jaipur में आयोजित 3 आर और सर्कुलर इकोनॉमी समिट में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि भी आए थे। इन प्रतिनिधियों ने इस प्रोजेक्ट का दौरा किया और इसे एक बहुत ही प्रभावशाली और पर्यावरण के अनुकूल पहल के रूप में सराहा। हेरिटेज नगर निगम के आयुक्त और स्मार्ट सिटी के सीईओ अरुण कुमार हसीजा ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य सिर्फ बिजली उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक सकारात्मक कदम है।
पानी की बचत और सिंचाई के लिए उपयोग
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से निकलने वाले पानी को भी पूरी तरह से उपयोग में लाया जा रहा है। इस पानी को साफ करके पेड़-पौधों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे जल का सदुपयोग हो रहा है। यह पहल इस परियोजना को एक मल्टीपरपज प्रोजेक्ट बनाती है, जहां बिजली, पानी और आमदनी का उपयोग निगम के विकास कार्यों में किया जाएगा।
एमआरएफ प्लांट और कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया
इस वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट के साथ-साथ कचरे के निस्तारण की एक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया भी चल रही है। एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फैसलिटी) प्लांट की क्षमता 300 टन प्रतिदिन की है और इस प्लांट का काम अप्रैल 2025 तक पूरा होने की संभावना है। एमआरएफ प्लांट में कचरे की छंटाई की जाती है, और इसके बाद उसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस छंटे हुए कचरे को Jaipur की सीमेंट फैक्ट्रियों में भेजा जाता है, जहां इसका उपयोग किया जाता है।
सीएंडडी वेस्ट प्लांट और निर्माण सामग्री का निस्तारण
इसके अलावा, एक और प्लांट का काम शुरू हो चुका है, जो खासतौर पर निर्माण सामग्री के कचरे को निस्तारित करने का काम करता है। इस सीएंडडी (कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन) वेस्ट प्लांट में 200 टन क्षमता है, और इसमें निर्माण सामग्री के कचरे को रीसायकल किया जा रहा है। रीसायकल की गई सामग्री का उपयोग ईंटें, बजरी, गिट्टी, टाइल्स और ब्लॉक बनाने में किया जा रहा है। इससे निर्माण कचरे का निस्तारण भी आसान हो गया है और पर्यावरण पर दबाव भी कम हुआ है।
Jaipur नगर निगम की पहल और भविष्य की योजनाएं
Jaipur नगर निगम ने इस परियोजना के लिए 2021 में जमीन उपलब्ध कराई थी और जुलाई 2022 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त की थी। हालांकि, इस प्रोजेक्ट का काम निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाया था, लेकिन जनवरी 2025 में इस परियोजना को पूरी तरह से तैयार किया गया और मार्च में इसका काम शुरू कर दिया गया। नगर निगम की यह पहल शहर में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्लांट के फायदें और भविष्य की दिशा
Jaipur का यह वेस्ट टू एनर्जी प्लांट न केवल ऊर्जा संकट का समाधान करेगा, बल्कि कचरे से उत्पन्न ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को भी कम करेगा। यह प्लांट भविष्य में शहर के कचरे के निस्तारण और पुनर्नवीनीकरण की प्रक्रिया को और भी प्रभावी बनाएगा। इसके साथ-साथ यह परियोजना शहर के लिए एक मॉडल बन सकती है, जिसे अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है।
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