भारत में घरेलू शेयर Market की दिशा तय करेंगे वैश्विक और घरेलू आर्थिक संकेतक
भारत का घरेलू शेयर Market पिछले सप्ताह लगभग एक प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ, और अगले सप्ताह Market की निगाहें प्रमुख आर्थिक आंकड़ों पर रहेंगी, जिनमें भारत, अमेरिका और चीन के पीएमआई (प्रबंधकीय खरीद सूचकांक) आंकड़े, वाहन बिक्री के आंकड़े और तीसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजे शामिल हैं। इसके अलावा, निवेशक बजट-पूर्व संकेतों और वैश्विक आर्थिक घटनाओं के आधार पर अपनी निवेश रणनीतियों में बदलाव कर सकते हैं।
बीते सप्ताह Market का प्रदर्शन
बीते सप्ताह घरेलू शेयर Market ने एक हल्की बढ़त दर्ज की, जहां बीएसई का प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 657.48 अंक या 0.84 प्रतिशत बढ़कर 78,699.07 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह, एनएसई का निफ्टी 225.9 अंक या 0.96 प्रतिशत चढ़कर 23,813.40 अंक पर बंद हुआ। सप्ताहभर के कारोबार में, बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तुलना में मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में मिलाजुला रुख देखने को मिला। जहां मिडकैप में 0.2 प्रतिशत की बढ़त रही, वहीं स्मॉलकैप में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई।
विश्लेषकों के अनुसार, Market में हल्के सकारात्मक रुख के बावजूद, कुछ प्रमुख उत्प्रेरकों की अनुपस्थिति के कारण बाजार सपाट बंद हुआ। बैंकिंग और फार्मा क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन ने आईटी क्षेत्र की गिरावट को संतुलित किया, जिससे प्रमुख सूचकांकों को स्थिरता मिली। इसके साथ ही, मिडकैप और स्मॉलकैप के शेयर भी मामूली उतार-चढ़ाव के साथ सपाट बंद हुए।
Market को प्रभावित करने वाले कारक
अमेरिकी डॉलर की मजबूती और वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि ने भारतीय बाजार पर दबाव डाला। साथ ही, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली और रुपये की कमजोरी ने भी Market की धारणा को प्रभावित किया। हालांकि, निकासी की सीमित मात्रा ने भारतीय शेयर बाजार को कुछ राहत दी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को लेकर जारी अनिश्चितता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के कारण विशेष रूप से उभरते Market में अल्पकालिक दबाव बना। अमेरिका के टैरिफ में संभावित वृद्धि और उच्च मूल्यांकन ने निवेशकों के मन में अस्थिरता पैदा की। इसके परिणामस्वरूप, निवेशकों के लिए जोखिम कम हुआ और वे अधिक सतर्क रहे।
आने वाले सप्ताह में निवेशकों का फोकस
अगले सप्ताह Market का ध्यान महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों पर होगा, जिनमें विशेष रूप से भारत, अमेरिका और चीन के पीएमआई आंकड़े, साथ ही अमेरिका के बेरोजगारी दावों के आंकड़े शामिल हैं। ये आंकड़े आगामी तिमाही की आर्थिक स्थिति को स्पष्ट करेंगे और निवेशकों के निर्णयों को प्रभावित करेंगे। इसके अतिरिक्त, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के कंपनियों के परिणाम भी Market की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
निवेशक बजट-पूर्व संकेतों के आधार पर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं, जिससे बाजार में रणनीतिक पुनर्संतुलन देखने को मिल सकता है। इसके अलावा, दिसंबर में वॉल्यूम में बढ़ोतरी और मूल्यांकन में सुधार की संभावनाओं के चलते ऑटोमोबाइल क्षेत्र को लेकर बाजार में सुर्खियाँ बन सकती हैं।
ग्लोबल और डोमेस्टिक इकोनॉमिक फैक्टर
वैश्विक स्तर पर अमेरिकी महंगाई दर में नरमी और ब्याज दरों में कटौती की संभावना ने विश्व बाजार को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया, जिससे भारतीय बाजार में भी वृद्धि देखने को मिली। हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया की कमजोरी की चिंता बनी रही। इन सभी घटनाओं का भारतीय शेयर बाजार पर मिश्रित असर पड़ा।
भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार की उम्मीदें हैं, लेकिन वैश्विक व्यापार युद्ध और अमेरिकी नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बनी रह सकती है। इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय बाजार में अगले सप्ताह हल्का उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
सेक्टोरल परफॉर्मेंस और निवेशक रणनीतियाँ
बीते सप्ताह, वित्तीय सेवाएं, बैंकिंग, धातु, रियल एस्टेट और सेवाओं के क्षेत्रों में मजबूत लिवाली देखी गई। हालांकि, यूटिलिटीज, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, धातु और पावर के क्षेत्रों में बिकवाली की वजह से बाजार में उतार-चढ़ाव आया। इसके अलावा, बुधवार को क्रिसमस के अवकाश के कारण बाजार में चार दिन ही कारोबार हुआ, जिससे कारोबार के आंकड़े अपेक्षाकृत कम थे।
इसके बाद, शुक्रवार को ऑटो, हेल्थकेयर, एफएमसीजी, आईटी और टेक जैसे क्षेत्रों में लिवाली देखने को मिली, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में हल्की बढ़त आई। विशेष रूप से ऑटोमोबाइल क्षेत्र की सुर्खियाँ इस सप्ताह बनी रही, और उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह भी ऑटो क्षेत्र में कुछ सकारात्मक रुझान दिखाई दे सकते हैं।
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