प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दक्षिणी देशों का वैश्विक मंच पर उभार हो रहा है और वे एक अधिक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा Global South के हितों को प्राथमिकता देता रहेगा।
उन्होंने कहा, “हम अपने विकास को दूसरों के प्रति जिम्मेदारी के रूप में देखते हैं और हमारी प्राथमिकता हमेशा Global South रहेगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि दक्षिण के देश एक नई और अधिक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था देखना चाहते हैं।
मोदी त्रिनिदाद की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। यह अवसर भारत और त्रिनिदाद-टोबैगो के द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जा रहा है।
उन्होंने लोकतंत्र की भारतीय परंपरा को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। उन्होंने त्रिनिदाद की लोकतांत्रिक यात्रा की सराहना की और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
मोदी ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण के ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख किया और बताया कि भारत में 15 लाख से अधिक महिलाएं स्थानीय शासन में नेतृत्व कर रही हैं।
उन्होंने आतंकवाद को मानवता के लिए गंभीर खतरा बताया और वैश्विक समुदाय से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। साथ ही, वैश्विक शासन में सुधार और Global South को उसका हक दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अपने संबोधन में उन्होंने त्रिनिदाद में भारतीयों के आगमन के 180 वर्ष पूरे होने का स्मरण किया और कहा कि दोनों देशों के संबंध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बंधनों पर आधारित हैं, जो समय के साथ और भी प्रगाढ़ होते रहेंगे।
मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के दूसरे चरण में घाना से त्रिनिदाद पहुंचे थे और अब वे अर्जेंटीना की यात्रा पर रवाना होंगे।