MTech Baba का दावा: 40 लाख की नौकरी छोड़कर बने नागा साधु

MTech Baba

MTech Baba: 40 लाख की नौकरी छोड़कर साधु जीवन अपनाने की प्रेरणादायक कहानी

MTech Baba: प्रयागराज के महाकुंभ में जहां लाखों साधु-संत अपनी अपनी अनोखी जीवन यात्रा और रूप-रंग से दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, वहीं एक और बाबा ने अपनी अलग पहचान बनाई है। एमटेक बाबा, जिनका असली नाम दिगंबर कृष्ण गिरी है, अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनका जीवन और उनका निर्णय निश्चित रूप से प्रेरणादायक है। उन्होंने महंगी नौकरी और भौतिक जीवन को छोड़कर साधु जीवन को अपनाया।

MTech Baba कौन हैं?

दिगंबर कृष्ण गिरी, जिन्हें एमटेक बाबा के नाम से जाना जाता है, एक समय पेशेवर दुनिया में अपना स्थान बना चुके थे। वे एक उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति थे और उनकी जीवनशैली एक सफल पेशेवर की तरह थी। एमटेक बाबा का जीवन और उनकी यात्रा उनके आत्मिक साक्षात्कार और साधना के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करने वाली है। उन्होंने 40 लाख रुपये की सालाना नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और खुद को पूरी तरह से साधु जीवन में समर्पित कर दिया।

MTech Baba का शैक्षिक और पेशेवर सफर

MTech Baba का जन्म एक तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका शुरुआती जीवन एक सामान्य छात्र का था, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से उच्च स्थान प्राप्त किया। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमटेक की डिग्री प्राप्त की, जहां उन्होंने अपने अध्ययन में अव्‍वल प्रदर्शन किया। इस कड़ी मेहनत और सफलता के कारण उन्हें कई नामी कंपनियों से काम करने का अवसर मिला।

अपनी पेशेवर यात्रा में, एमटेक बाबा ने कई प्रतिष्ठित कंपनियों में कार्य किया। उन्होंने एसीसी बिड़ला, डालमिया और कजारिया जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया, जहां वे अपने कार्य में उत्कृष्टता के लिए पहचाने गए। वे दिल्ली की एक कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत थे, जहां उन्होंने 450 कर्मचारियों की टीम को नेतृत्व किया। उनका कामकाजी जीवन और नेतृत्व की क्षमताएं उन्हें उद्योग जगत में सम्मान दिलाने में सफल रही थीं।

MTech Baba का जीवन बदलने वाला मोड़

MTech Baba का करियर सुनहरे भविष्य का संकेत दे रहा था, लेकिन एक दिन उनके जीवन में ऐसा मोड़ आया, जिसने सब कुछ बदल दिया। उन्होंने साधु जीवन को अपनाने का निर्णय लिया, और यह निर्णय उनके लिए आत्मिक शांति और आंतरिक शांति की खोज से जुड़ा था।

MTech Baba ने इस बारे में विस्तार से बताया कि कैसे वह साधु जीवन की ओर आकर्षित हुए। वे बताते हैं, “मैं दिल्ली में जेनरल मैनेजर था, और मेरी महीने की तनख्वाह 3.2 लाख रुपये थी। सब कुछ ठीक था, लेकिन एक दिन जब मैं देहरादून आ रहा था, तो मैंने साधुओं का एक समूह देखा। यह दृश्य मेरे लिए बहुत अद्भुत था। मैंने सोचा, ‘यह क्या है?’ मुझे एक अलग ही अनुभव हुआ और तब मैंने इसके बारे में गूगल पर तलाश शुरू की। तीन महीने तक मैं इसके बारे में कुछ नहीं जान पाया, लेकिन इसके बाद मुझे यह जीवन अपनाने का अहसास हुआ।”

MTech Baba का दावा है कि यह अनुभव उन्हें पूरी तरह से बदलने वाला था, और उन्होंने इसे स्वीकार किया। उनका मानना है कि यह साधु जीवन उन्हें आत्मिक शांति और अपनी वास्तविक पहचान खोजने में मदद करेगा।

MTech Baba की साधु बनने की यात्रा

MTech Baba ने अपनी आत्मिक यात्रा शुरू करने के बाद, निरंजनी अखाड़े से जुड़कर नागा साधु बनने का निर्णय लिया। साधु जीवन को अपनाने के बाद उन्होंने जो अनुभव प्राप्त किए, उनका कहना है कि यह जीवन सच्ची शांति और आध्यात्मिक समृद्धि की ओर ले जाता है। उनका मानना है कि भौतिक जीवन में जो कुछ भी था, वह क्षणिक था, जबकि साधु जीवन में उन्हें सच्चे आत्म-साक्षात्कार का अहसास हुआ।

उनके साधु जीवन में आने के बाद, उन्होंने ध्यान, साधना, और वेदों के अध्ययन को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। वे अब लोगों को भी इस साधना की ओर मार्गदर्शन देने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस साधु जीवन ने उन्हें अंदर से मजबूत और आत्मविश्वासी बनाया है।

MTech Baba की शिक्षा और संदेश

MTech Baba का जीवन एक प्रेरणा है। वे यह संदेश देते हैं कि जीवन में सही दिशा की पहचान करना बहुत जरूरी है। भौतिक दुनिया में सफलता प्राप्त करने के बाद भी अगर आंतरिक शांति की कमी हो, तो जीवन अधूरा सा लगता है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि साधु जीवन केवल त्याग और तपस्या का नाम नहीं, बल्कि यह आत्म-साक्षात्कार और मानसिक शांति की ओर बढ़ने का मार्ग है।

उनका जीवन यह भी दर्शाता है कि अगर किसी के अंदर सच्ची इच्छा और जागरूकता हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में अपनी मंजिल प्राप्त कर सकता है। वे मानते हैं कि साधु बनने के बाद उन्हें वह शांति और आंतरिक संतुलन मिला, जो किसी भी भौतिक सफलता से कहीं अधिक मूल्यवान है।

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