Rajasthan: खेलते-खेलते 150 फीट गहरे बोरवेल में गिरा 5 साल का बच्चा, 55 घंटे बाद NDRF ने किया रेस्क्यू

By Editor
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NDRF

राजस्थान के दौसा में 150 फीट गहरे बोरवेल में गिरा पांच साल का बच्चा, NDRF ने 55 घंटे बाद सफल रेस्क्यू किया

राजस्थान के दौसा जिले से एक बड़ी राहत की खबर आई है। जहां एक पांच साल का बच्चा, जो खेलते-खेलते 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था, उसे 55 घंटे बाद NDRF की टीम ने सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया। यह ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था और इसके दौरान एनडीआरएफ के अधिकारियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अंततः बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला गया और अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया।

आर्यन का बोरवेल में गिरना और बचाव अभियान की शुरुआत

जानकारी के अनुसार, यह घटना दौसा के कालीखाड़ गांव की है, जहां आर्यन नाम का पांच वर्षीय बच्चा सोमवार दोपहर लगभग 3 बजे खेत में खेलते हुए 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। जैसे ही यह हादसा हुआ, परिवार वालों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया और घटना के एक घंटे बाद स्थानीय प्रशासन और NDRF को सूचित किया गया। स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन बच्चों को बचाने के लिए किए गए प्रयासों में कई तकनीकी और भौतिक चुनौतियां आईं।

NDRF की चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन में हिस्सा लिया, जिसे बेहद चुनौतीपूर्ण माना गया। टीम ने समानांतर गड्डा खोदने के लिए ड्रिलिंग मशीनों का इस्तेमाल किया, ताकि बोरवेल के अंदर फंसे बच्चे तक पहुंचा जा सके। ऑपरेशन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती पानी था, क्योंकि बोरवेल का पानी का स्तर लगभग 160 फीट तक बढ़ चुका था। इससे बचाव कार्य में देरी हो रही थी, क्योंकि पानी की वजह से खुदाई में कठिनाई आ रही थी।

NDRF के अधिकारियों ने बताया कि बच्चे तक पहुंचने में एक और बड़ी मुश्किल भूमिगत भाप (steam) का आना थी, जो बोरवेल के अंदर एकत्रित हो गई थी। इसकी वजह से कैमरे से बच्चे की स्थिति को ठीक से रिकॉर्ड करना मुश्किल हो रहा था, जिससे बचाव कार्य में और भी कठिनाई आई। इसके अलावा, बच्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए रेस्क्यू टीम को विशेष सावधानी बरतनी पड़ी, क्योंकि बोरवेल के अंदर वायु और मिट्टी की स्थिति भी खतरे में डाल रही थी।

बचाव कार्य में लगी टीम और तकनीक

रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF के अलावा अन्य बचाव दल भी शामिल थे, जिन्होंने लगातार तीन दिन तक रेस्क्यू कार्य जारी रखा। बचाव दल के मुताबिक, इस ऑपरेशन में ड्रिलिंग और खुदाई की तकनीकों का भरपूर इस्तेमाल किया गया था, ताकि बच्चे तक जल्दी से जल्दी पहुंचा जा सके। इसके अलावा, बोरवेल की गहराई और अन्य सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए, टीम ने कई बार अपनी रणनीतियों को बदला और जरूरी बदलाव किए।

NDRF के कर्मियों ने कहा कि यह ऑपरेशन न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण था, बल्कि मानसिक और तकनीकी दृष्टि से भी एक बड़ा परीक्षण था। टीम ने पूरी निष्ठा और सतर्कता से काम किया, जिससे अंततः बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका।

बच्चे की मेडिकल स्थिति और अस्पताल भेजना

NDRF की टीम के सदस्य और अन्य अधिकारी बेहद राहत महसूस कर रहे थे जब आखिरकार आर्यन को बोरवेल से बाहर निकाला गया। बच्चे को गंभीर स्थिति में देखा गया और तुरंत ही उसे एक एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल भेजा गया। हालांकि, अब तक बच्चे की मेडिकल स्थिति के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि उसे तत्काल उपचार मिलेगा और उसकी हालत स्थिर होगी।

सुरक्षा और जागरूकता पर जोर

इस घटना के बाद, अधिकारी और विशेषज्ञों ने बोरवेल जैसे खतरनाक गड्ढों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता जताई है। कई बार ऐसी घटनाएं बच्चों के खेलते समय घटित होती हैं, जब उनकी नजरें बोरवेल या अन्य खतरनाक स्थानों पर नहीं जातीं। इसके अलावा, यह भी सुझाव दिया गया है कि बोरवेल और अन्य गहरे गड्ढों को अच्छी तरह से ढककर या बंद करके रखा जाए, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

NDRF की भूमिका और साहस

NDRF की भूमिका इस घटना में महत्वपूर्ण रही है। उनकी तत्परता और कुशलता ने इस ऑपरेशन को सफल बना दिया। एनडीआरएफ के कर्मियों ने न केवल बचाव कार्य किया, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए, एक जीवन को बचाया। यह ऑपरेशन एक उदाहरण है कि जब हर संभव प्रयास किया जाता है, तो किसी भी संकट से बाहर निकला जा सकता है।

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