One Nation, One Election पर Modi सरकार को प्रशांत किशोर का समर्थन, बोले- यह देशहित में है

By Editor
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प्रशांत किशोर ने “One Nation, One Election” पर मोदी सरकार का समर्थन किया, कहा – यह देशहित में, लेकिन सही नीयत जरूरी

भारत में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर चर्चित प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार द्वारा “One Nation, One Election” के प्रस्ताव को समर्थन दिया है। उनका मानना है कि यह पहल देश के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन इसे सही नीयत और सटीक तरीके से लागू करना जरूरी है। उनका कहना है कि यह बदलाव धीरे-धीरे और चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए, ताकि सभी संबंधित पक्षों को इसकी गंभीरता और लाभ का सही मूल्यांकन किया जा सके।

“One Nation, One Election” का समर्थन – सही नीयत से होगा फायदेमंद

प्रशांत किशोर ने कहा कि भारत में प्रत्येक साल एक चौथाई जनता मतदान करती है, जिसका मतलब है कि सरकारों को अधिकतर समय चुनावी माहौल में रहना पड़ता है। इससे प्रशासन और विकास कार्यों में अवरोध उत्पन्न होता है, और सरकार की प्राथमिकताएँ चुनावों के चारों ओर घूमने लगती हैं। यदि चुनावों को एक या दो बार आयोजित किया जाए, तो यह प्रक्रिया चुनावी मोड में आने की आवश्यकता को खत्म कर सकती है और प्रशासनिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा।

उन्होंने कहा, “यदि इस प्रस्ताव को सही नीयत से लागू किया जाए तो यह सरकार और जनता दोनों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे न केवल सरकार का समय बचेगा बल्कि देश का पैसा भी बच सकता है।”

चरणबद्ध तरीके से लागू हो “वन नेशन, वन इलेक्शन”

One Nation, One Election: प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय चुनावों की प्रक्रिया पिछले 50 वर्षों से चली आ रही है, और इसे एक दिन में नहीं बदला जा सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि इस परिवर्तन को अगले चार से पांच सालों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए, ताकि लोगों को इसकी आदत हो और इस बदलाव के प्रति उनकी स्वीकार्यता बढ़े।

चुनाव प्रक्रिया में बदलाव के लिए समय की आवश्यकता को लेकर उन्होंने कहा, “इतने बड़े बदलाव को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता है। यह बदलाव धीरे-धीरे होगा, और इस दौरान सभी पक्षों को इसकी प्रक्रिया और उद्देश्य को समझने का पर्याप्त समय मिलेगा।”

“One Nation, One Election” की सफलता पर नीयत का प्रभाव

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि “One Nation, One Election” की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार इसे किस उद्देश्य और नीयत से लागू करती है। उनका मानना है कि अगर यह प्रक्रिया सही नीयत से लागू की जाती है, तो यह देश के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर इसका उद्देश्य चुनावों को सरल और सस्ता बनाना है, और देश की प्रगति को सुचारू रूप से सुनिश्चित करना है, तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा। हालांकि, यदि इसे किसी विशेष वर्ग या समुदाय को हानि पहुँचाने के लिए लागू किया जाता है, तो यह न केवल गलत होगा बल्कि इसे देश के विकास के लिए भी हानिकारक माना जाएगा।”

“One Nation, One Election” – एक आदर्श बदलाव?

One Nation, One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने इस योजना को लेकर कई बार अपनी सहमति जताई है और इसे लागू करने की दिशा में सख्त प्रयास किए हैं। हालांकि, प्रशांत किशोर ने यह स्पष्ट किया कि इस बड़े बदलाव को केवल सरकारी नीयत और नीति की ईमानदारी से ही सफल बनाया जा सकता है।

प्रशांत किशोर ने कहा, “सरकार की ईमानदारी और मंशा इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि यह योजना अन्य राजनैतिक लाभ के लिए या केवल सत्ता की स्थिरता के लिए लागू की जाती है, तो यह न केवल गलत होगा, बल्कि इससे आम जनता का विश्वास भी टूट सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण

One Nation, One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही इस विषय पर अपने विचार साझा किए थे। वे इस योजना को लागू करने के लिए न केवल उत्साहित हैं, बल्कि उनका मानना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया को सरल और सस्ता बनाया जा सकता है। इस प्रस्ताव के तहत देशभर में एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है तो यह भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में कई बार यह कहा है कि जब देश एक साथ चुनाव करेगा तो यह न केवल खर्चों में कमी करेगा, बल्कि समय की भी बचत होगी। इसके साथ ही चुनावी मुद्दों पर चर्चा करने का समय भी मिलेगा, और सरकार का ध्यान स्थिरता और विकास कार्यों पर केंद्रित रहेगा।

संभावित चुनौती और विपक्षी प्रतिक्रिया

जहां प्रशांत किशोर ने “One Nation, One Election” के फायदे को स्वीकार किया है, वहीं विपक्षी पार्टियों ने इसके बारे में अपनी चिंताओं का इज़हार किया है। उनका मानना है कि यह कदम केंद्र सरकार के लिए सत्ता को स्थिर रखने का एक तरीका हो सकता है, और इसमें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का हनन हो सकता है।

कुछ विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा है कि एक साथ चुनाव कराने से छोटे दलों को नुकसान हो सकता है और यह व्यवस्था बड़े दलों के पक्ष में जा सकती है। ऐसे में, प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर इस कदम को सही नीयत से लागू किया जाए तो यह सभी के हित में होगा और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती मिलेगी।

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