Putin ने ट्रंप के सामने उठाई समस्या: जेलेंस्की ने बैन लगाया, युद्ध पर कैसे होगी बात?
Putin: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध न केवल क्षेत्रीय संकट का रूप ले चुका है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भी गहरे प्रभाव डाल रहा है। इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर Putin ने एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए अपने इरादों का इज़हार किया है। Putin ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की द्वारा युद्ध संबंधी बातचीत पर बैन लगाने का मुद्दा उठाया, जिसे उन्होंने एक बड़ी समस्या के रूप में पेश किया। Putin ने ट्रंप के सामने यह सवाल रखा कि जब यूक्रेन ने पहले ही बातचीत पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो युद्ध के समाधान के लिए बातचीत कैसे होगी?
यूक्रेन ने बातचीत पर लगाया प्रतिबंध
Putin के बयान से साफ है कि रूस अभी भी बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें लगता है कि इस प्रक्रिया को पूरी तरह से अवरुद्ध करने के लिए यूक्रेन का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है। 2022 में, जब रूस ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जा करने का ऐलान किया था, तब यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक डिक्री जारी की थी, जिसके तहत यूक्रेन सरकार ने रूस के साथ बातचीत पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस प्रतिबंध के तहत, यूक्रेन के कानूनी ढांचे में कोई भी बातचीत नाजायज मानी जाएगी। Putin ने इस निर्णय को लेकर चिंता जताई और कहा कि इस स्थिति में युद्ध के समाधान के लिए वार्ता कैसे संभव होगी, यह एक गंभीर सवाल है।
Putin का बयान: युद्ध पर बातचीत का रास्ता खुला
रूस के राष्ट्रपति Putin ने कहा, “हम यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन जब यूक्रेन ने बातचीत पर प्रतिबंध लगा दिया, तो अब सवाल उठता है कि कैसे आगे बढ़ सकते हैं।” Putin ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध का समाधान केवल बातचीत के जरिए ही संभव है, लेकिन जब एक पक्ष बातचीत से पीछे हट जाए तो इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत के दौरान कुछ मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। Putin का यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि रूस, यूक्रेन के साथ युद्ध को समाप्त करने के लिए परस्पर समझौते की संभावना पर विचार करने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए यूक्रेनी नेतृत्व का सहयोग जरूरी है।
ट्रंप और Putin के बीच संवाद: एक नया मोर्चा
हाल ही में, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के संदर्भ में अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति Putin के बीच हुई चर्चा ने भी ध्यान आकर्षित किया है। ट्रंप, जो खुद भी रूस-यूक्रेन संकट के समाधान में अपनी भूमिका निभाने की इच्छा जताते रहे हैं, ने पुतिन से बातचीत की संभावना के बारे में सवाल किया था।
Putin ने इस संदर्भ में कहा कि युद्ध को समाप्त करने के लिए शर्तें निर्धारित करने का पहला कदम यह है कि यूक्रेन की ओर से बातचीत पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए। उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन इस प्रतिबंध को खत्म कर देता है, तो युद्ध के समाधान के लिए एक ठोस बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
क्या यूक्रेनी राष्ट्रपति का निर्णय बदल सकता है?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने जो प्रतिबंध लगाया है, वह न केवल रूस से बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी आलोचनाओं का सामना कर चुका है। हालांकि, जेलेंस्की का यह कदम उनके देश के सुरक्षा हितों से जुड़ा हुआ था, लेकिन कई देशों और विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रतिबंध को खत्म करने से युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
यूक्रेनी सरकार और राष्ट्रपति जेलेंस्की का यह तर्क है कि रूस के साथ कोई भी वार्ता उनके देश की संप्रभुता को खतरे में डाल सकती है और इससे रूस की विस्तारवादी नीतियों को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए, जेलेंस्की ने वार्ता को तभी संभव बताया है जब रूस अपनी सैन्य गतिविधियों को रोक देगा और यूक्रेन के क्षेत्रीय एकता का सम्मान करेगा।
रूस की स्थिति: बातचीत का रास्ता खुला
रूस की ओर से हमेशा यह संकेत दिया गया है कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि बातचीत तभी संभव हो सकती है जब यूक्रेन अपने कड़े रुख को नरम करे। पुतिन ने कई बार यह भी कहा है कि रूस की सैन्य गतिविधियों का उद्देश्य केवल यूक्रेन की रक्षा करना है और उनका मानना है कि युद्ध का समाधान केवल दो पक्षों के बीच समझौते से ही संभव है।
रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था कि रूस और यूक्रेन के बीच एक दीर्घकालिक शांति समझौता केवल उस स्थिति में संभव है जब दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ बातचीत के लिए तैयार हों। पुतिन का बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि रूस बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन जब तक यूक्रेन बातचीत की मेज़ पर नहीं आता, यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती।
वैश्विक समुदाय का दबाव
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का प्रभाव न केवल दोनों देशों पर, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ा है। इस युद्ध के कारण ऊर्जा संकट, खाद्य संकट, और अन्य वैश्विक मुद्दे भी उभर कर सामने आए हैं। इस स्थिति में वैश्विक समुदाय, खासकर पश्चिमी देश, दोनों पक्षों से बातचीत की अपील कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि युद्ध का समाधान केवल संवाद और समझौते के जरिए ही निकाला जा सकता है। हालांकि, इस संघर्ष के बीच कई बार युद्धविराम की कोशिशें की गईं, लेकिन उन प्रयासों को सफलता नहीं मिल पाई।
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