SC की सख्त चेतावनी: गिरफ्तारी कानूनों के उल्लंघन पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
SC ने हाल ही में गिरफ्तारी कानूनों और हिरासत में किए जाने वाले व्यवहार को लेकर सख्त टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी के दौरान कानूनों और नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों (DGP) को निर्देश दिया कि वे अपने अधीनस्थों को इस संबंध में कड़े दिशा-निर्देश दें ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
पुलिस को अपनी सीमाएं नहीं लांघनी चाहिए: SC
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि पुलिस प्रशासन राज्य व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसका सीधा संबंध नागरिकों की सुरक्षा से है। इसलिए, पुलिस अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय निर्धारित कानूनों और संवैधानिक मर्यादाओं का ध्यान रखना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस को किसी भी स्थिति में अपनी कानूनी सीमाओं को पार नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल नागरिकों के अधिकारों का हनन होता है, बल्कि कानून व्यवस्था पर जनता का विश्वास भी कमजोर होता है।
हरियाणा पुलिस पर लगे आरोप और SC की टिप्पणी
SC की यह कड़ी टिप्पणी हरियाणा पुलिस के एक मामले के संदर्भ में आई, जहां एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि उसे गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया और पुलिस स्टेशन में उसके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले में सबूत के तौर पर एक ई-मेल का हवाला दिया, जो पीड़ित के भाई ने पुलिस अधीक्षक को उसकी कथित गिरफ्तारी की जानकारी देने के लिए भेजा था। वकील ने यह भी दावा किया कि पुलिस द्वारा यातना दिए जाने के बाद ही प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि गिरफ्तारी कानूनों का उल्लंघन किया गया।
SC ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहना होगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनके खिलाफ ‘शून्य-सहिष्णुता’ की नीति अपनाई जाए।
‘अपराधी’ भी मानवाधिकारों से वंचित नहीं: SC
न्यायालय ने जोर देकर कहा कि चाहे कोई व्यक्ति अपराधी हो या न हो, उसे कानून के अनुसार उचित व्यवहार और सम्मान पाने का अधिकार है। SC ने कहा, “हमारे देश के कानून के तहत, एक अपराधी को भी उसके सम्मान और व्यक्तित्व की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि आम नागरिकों से तो कभी-कभी अनजाने में कानून का उल्लंघन हो सकता है, लेकिन पुलिस अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पूरी निष्ठा और संवैधानिक दायित्वों के साथ कार्य करें। यदि वे स्वयं ही कानून की धज्जियां उड़ाने लगें, तो इससे न्यायिक व्यवस्था की साख पर बुरा असर पड़ेगा।
DGP को निर्देश – गिरफ्तारी कानूनों का सख्ती से पालन हो
SC ने इस मामले पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के DGP को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों को गिरफ्तारी प्रक्रिया और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में प्रशिक्षण दें। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह DGP की जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि उनके राज्य में पुलिस अधिकारी कानून का पालन करें और किसी भी प्रकार की अवैध हिरासत या यातना की घटनाएं दोबारा न हों।
कोर्ट ने कहा कि यदि भविष्य में इस तरह की कोई भी घटना संज्ञान में आती है, तो दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
न्यायालय ने अपने 2024 के फैसले की याद दिलाई
SC ने अपने 2024 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि “कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने और हिरासत में अमानवीय व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ‘शून्य-सहिष्णुता’ की नीति अपनाने की आवश्यकता है।” न्यायालय ने कहा कि ऐसे अत्याचारी कृत्य पूरी न्याय प्रणाली को शर्मसार करते हैं और नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन करते हैं।
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि 2024 में पारित इस फैसले की एक प्रति दिल्ली पुलिस आयुक्त सहित सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के DGP को भेजी जाए, ताकि वे इस बात को याद रखें कि “गिरफ्तारी के दौरान और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के लिए उपलब्ध सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए।”
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