मुंबई हमले के दोषी Tahawwur Rana का प्रत्यर्पण, अमेरिकी SC ने दी मुहर

Tahawwur Rana

भारत को मिली बड़ी जीत: Tahawwur Rana का प्रत्यर्पण मंजूर, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी Tahawwur Rana के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। यह फैसला भारत के लिए एक बड़ी जीत है, क्योंकि लंबे समय से भारत पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक Tahawwur Rana को भारत लाने की मांग कर रहा था।

यह निर्णय भारतीय एजेंसियों की कड़ी मेहनत और कानूनी प्रक्रियाओं के बाद आया है।Tahawwur Rana पर मुंबई हमले में अपनी भूमिका को लेकर गंभीर आरोप हैं, और भारत उसे न्याय दिलाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा था।

Tahawwur Rana की कानूनी लड़ाई

Tahawwur Rana के प्रत्यर्पण को लेकर भारत में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। भारतीय एजेंसियों ने अमेरिकी अदालत में मामले के दौरान 26/11 हमले से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और साक्ष्य पेश किए थे। पहले निचली अदालतों में यह मामला हार चुका था, और फिर उसने इस फैसले को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। यह राणा के लिए अंतिम कानूनी विकल्प था, और उसकी ओर से इस फैसले को चुनौती देने का प्रयास किया गया था। हालांकि, अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश दे दिए हैं, जो भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

राणा पर लगे गंभीर आरोप

Tahawwur Rana पर आतंकवादी हमलों में सहायक भूमिका निभाने का गंभीर आरोप है। 2008 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली के साथ उसके संबंधों की जांच भारतीय एजेंसियों द्वारा की गई थी। राणा ने हेडली को मुंबई में आतंकवादी हमले के लिए स्थानों की रेकी करने में मदद की थी, और यही कारण था कि भारत ने उसे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े होने का आरोप लगाया था।

इसके अलावा, राणा पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेटिव होने का भी आरोप है। वह 2009 में शिकागो से गिरफ्तार हुआ था, और उसके खिलाफ अदालतों में कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। भारत ने इन सभी आरोपों को लेकर अमेरिकी अदालत में सबूत प्रस्तुत किए थे, जिसके बाद कोर्ट ने उसे भारत भेजने की मंजूरी दी थी।

2008 में मुंबई में हुआ था आतंकवादी हमला

26 नवंबर 2008 को मुंबई में एक भयावह आतंकवादी हमला हुआ था, जो आज भी भारत की यादों में ताजा है। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। हमलावरों ने मुंबई के प्रमुख स्थलों पर 60 घंटे से अधिक समय तक कब्जा बनाए रखा, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल, ताज महल होटल और ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल जैसे महत्वपूर्ण स्थल शामिल थे।

इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था, और पाकिस्तानी नागरिक इन आतंकवादियों की मदद करने में शामिल थे। डेविड हेडली और Tahawwur Rana दोनों ने इस हमले के लिए प्लानिंग में अहम भूमिका निभाई थी। राणा का कनेक्शन हेडली के साथ था, जिसने मुंबई में आतंकवादी हमले के लिए जरूरी ठिकानों की जानकारी इकट्ठा की थी।

Tahawwur Rana के प्रत्यर्पण का महत्व

यह फैसला भारत के लिए एक बड़ी जीत है क्योंकि इसे 2008 के मुंबई हमले के दोषी को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारत ने इस फैसले को सशक्त तरीके से अपनी कानूनी प्रक्रियाओं के तहत प्राप्त किया है और यह कदम भारतीय न्यायिक व्यवस्था की ताकत को भी दर्शाता है।

Tahawwur Rana के भारत प्रत्यर्पण से अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि मुंबई हमले के सभी दोषियों को जल्द न्याय मिलेगा। इसके अलावा, इस फैसले से यह संदेश भी जाता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत और अन्य देशों के बीच सहयोग और कार्रवाई महत्वपूर्ण है।

आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों की जरूरत

Tahawwur Rana के प्रत्यर्पण का फैसला इस बात का प्रमाण है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सहयोग करना जरूरी है। हालांकि, भारत ने अपने प्रयासों को जारी रखा और राणा के खिलाफ सभी सबूत प्रस्तुत किए, लेकिन यह भी जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से जुड़े अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

भारतीय सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का यह कहना है कि आतंकी घटनाओं से निपटने के लिए देश-विदेश में आतंकवाद के खिलाफ जुझारू और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोका जा सके।

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