राजस्थान के सभी वेटरीनरी कॉलेजों में इस बार प्रवेश प्रक्रिया सेंट्रलाइज काउंसलिंग के जरिए होगी। पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। मंत्री ने बताया कि किसी भी प्रकार की अनियमितता रोकने के लिए नई एसओपी जारी की गई है। सत्र 2025-26 के लिए बी.वी.एससी एंड ए.एच., एम.वी.एससी और पीएचडी पाठ्यक्रम में केवल नीट अथवा आरपीवीटी क्वालिफाइड छात्रों को ही प्रवेश मिलेगा और निर्धारित कट ऑफ के बाद कोई प्रवेश नहीं होगा। बीकानेर और जोबनेर पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और अधिकारियों की बनी यह कमेटी प्रदेश के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों में करीब 1200 सीटों पर पारदर्शी काउंसलिंग करवाएगी। सभी चरण ऑनलाइन होंगे, और रिक्त सीटों के लिए मॉप-अप राउंड आयोजित किया जाएगा। काउंसलिंग के बाद रिक्त सीटों की जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी।
कुमावत ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशा के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया में जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन की नीति अपनाई जाएगी। गलत तरीके से प्रवेश देने वाली किसी भी संस्था पर कार्रवाई होगी। इस बैठक में वेटरीनरी प्रवेश प्रक्रिया के लिए जारी नई एसओपी का विमोचन भी किया गया।
बी.वी.एससी एंड ए.एच. डिग्री कोर्स के लिए आयोजित आरपीवीटी का परिणाम 25 अगस्त को जारी होगा। इस वर्ष 3 अगस्त को हुई परीक्षा में 1200 सीटों के लिए 9670 अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, जिनमें से 800 सीटें आरपीवीटी और 400 सीटें नीट के जरिए भरी जाएंगी।
बैठक में चार नए वेटरीनरी कॉलेज खोलने पर भी चर्चा हुई। भरतपुर, सिरोही और कोटा में नए कॉलेजों के लिए कार्रवाई तेज करने और जोधपुर में नवनिर्मित कॉलेज में इसी सत्र से प्रवेश सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। जोधपुर कॉलेज से तबादला किए गए फैकल्टी को तुरंत वापस भेजने के आदेश भी दिए गए। राजूवास, जोबनेर और श्रीगंगानगर की टांटिया यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए गए।
शासन सचिव पशुपालन, मत्स्य एवं गोपालन समित शर्मा ने कहा कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी होगी तथा केवल पात्र और योग्य छात्रों को मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। किसी भी कॉलेज द्वारा निर्देशों का पालन न करने पर उसकी संबद्धता समाप्त की जाएगी। बैठक में उपसचिव विजय गोधवानी, उप सचिव संतोष करोल, दोनों विश्वविद्यालयों के कुलगुरू, डीन, निदेशक और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।