Trump का बड़ा खुलासा: सोरोस ने अमेरिकी फंडिंग से भारत-बांग्लादेश में भड़काया विरोध

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Trump का बड़ा खुलासा: सोरोस की साजिश और अमेरिकी फंडिंग से भड़की विरोध की आग

अमेरिकी राष्ट्रपति Trump ने एक बड़े खुलासे में कहा है कि अरबपति जॉर्ज सोरोस ने अमेरिकी सरकारी एजेंसी, यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से भारी फंडिंग प्राप्त कर, भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, सीरिया, और यूक्रेन समेत कई देशों में विरोध, अराजकता और सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश की। Trump ने सोरोस पर गंभीर आरोप लगाए, यह कहते हुए कि उन्होंने 26 करोड़ डॉलर का इस्तेमाल दुनिया भर में राजनीतिक हलचल पैदा करने के लिए किया।

1. जॉर्ज सोरोस पर गंभीर आरोप: USAID से फंडिंग प्राप्त करना

Trump ने अपने बयान में कहा, “जॉर्ज सोरोस ने USAID से 26 करोड़ डॉलर हासिल किए और इसका इस्तेमाल दुनिया भर में अराजकता फैलाने, सरकारों को अस्थिर करने और निजी लाभ के लिए किया।” इस खुलासे ने दुनियाभर में राजनीति के विशेषज्ञों और आलोचकों को चौंका दिया है, क्योंकि यह अमेरिकी विदेश नीति और सोरोस के द्वारा किए गए वैश्विक हस्तक्षेप के बीच के संबंध को उजागर करता है। Trump का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनके प्रशासन ने USAID के बजट को फ्रीज कर दिया और अमेरिकी विदेशी सहायता पर जांच बढ़ा दी है।

2. USAID की भूमिका: सोरोस के फंडिंग नेटवर्क की जांच

USAID ने जॉर्ज सोरोस के संगठनों के साथ मिलकर कई देशों में राजनीतिक हस्तक्षेप किया है। तुर्की की अनादोलु एजेंसी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 15 सालों में USAID ने सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के साथ साझेदारी करने वाले संगठन ईस्ट-वेस्ट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को 27 करोड़ डॉलर से ज्यादा की राशि दी है। इस संस्था का दावा है कि उसका मिशन ‘लोकतांत्रिक समाजों को मजबूत करना और पारदर्शी संस्थानों का निर्माण करना’ है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसका असल उद्देश्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना है।

3. अमेरिकी सरकार की भूमिका पर सवाल: सोरोस की फंडिंग और आलोचना

Trump: सोरोस के संगठन के द्वारा प्राप्त किए गए फंड्स ने अमेरिका में आलोचनाओं को जन्म दिया है। आलोचकों का कहना है कि USAID और अन्य अमेरिकी संगठनों का सोरोस के लिए एक निजी बैंक की तरह काम करना, जो दुनिया भर के देशों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करता है, यह अमेरिकी सरकार की विदेश नीति को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। कई विशेषज्ञों ने यह चिंता जताई है कि इस फंडिंग के द्वारा अमेरिका अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहा है और यह देशों की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है।

4. सोरोस और लोकतंत्र: सोरोस की संस्था के दावे और वास्तविकता

Trump: जॉर्ज सोरोस द्वारा समर्थित संस्थाएं, जैसे कि एंटी-करप्शन एक्शन सेंटर, दावा करती हैं कि वे दुनिया भर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए काम कर रही हैं। लेकिन कुछ आलोचकों का मानना है कि इन संस्थाओं का वास्तविक उद्देश्य सत्ता और नियंत्रण के लिए हस्तक्षेप करना है। USAID द्वारा दी जा रही फंडिंग, जो इन संस्थाओं को समर्थन प्रदान करती है, ने यह स्पष्ट किया है कि अमेरिकी विदेश विभाग और अन्य संगठन ऐसे प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं, जो मुख्य रूप से सोरोस के व्यक्तिगत और संस्थागत लाभ के लिए काम करते हैं।

5. सोरोस के प्रभाव और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति

Trump: जॉर्ज सोरोस की संस्थाओं ने दुनिया भर में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक आंदोलनों का समर्थन किया है, जिसमें यूक्रेन और सीरिया जैसे देशों के अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य शामिल हैं। Trump का यह खुलासा इस बात को रेखांकित करता है कि सोरोस की फंडिंग से वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव हो रहे हैं, और यह देशी सरकारों की स्थिरता के लिए खतरे का कारण बन सकता है। अमेरिका के भीतर और बाहर कई नेताओं और विशेषज्ञों ने इस पर चिंता व्यक्त की है कि इस प्रकार की फंडिंग लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकती है और अन्य देशों के आंतरिक मामलों में अमेरिकी प्रभाव को बढ़ा सकती है।

6. भारत और बांग्लादेश: अमेरिकी फंडिंग से भड़के विरोध

Trump: भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में भी सोरोस के संगठनों द्वारा किए गए हस्तक्षेप के आरोप सामने आए हैं। भारतीय राजनीति में भी कुछ समय पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें सोरोस की संस्थाओं का समर्थन था। आलोचक मानते हैं कि सोरोस के संगठनों ने भारत और बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की है।

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