भावनाओं से भरी एक अंतिम यात्रा की कहानी, जिसने पूरे गांव को भावुक कर दिया
स्थान: उत्तरसंडा गांव, खेड़ा ज़िला, गुजरात
कभी-कभी इंसान की किसी चीज़ से मोहब्बत इतनी गहरी होती है कि वो सिर्फ़ एक शौक नहीं रह जाती — वो उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ गुजरात के खेड़ा ज़िले के उत्तरसंडा गांव में, जहाँ एक 24 वर्षीय युवक की अंतिम विदाई ने सभी की आंखें नम कर दीं और दिल छू लेने वाली एक नई मिसाल पेश की।
इस युवक की हाल ही में एक सड़क हादसे में मौत हो गई। लेकिन उसका परिवार इस दुखद घड़ी में भी एक ऐसा फैसला कर बैठा, जो सिर्फ़ रस्म नहीं, एक एहसास बन गया। उन्होंने उसे उसकी सबसे प्रिय चीज़ — उसकी बाइक — के साथ दफनाया।
बाइक से नहीं, उसके जज़्बे से मोहब्बत थी
परिवार ने बताया कि उस युवक को अपनी बाइक से एक अलग ही लगाव था। वह उसे रोज़ साफ़ करता, सजाता, और किसी साथी की तरह उसका ख्याल रखता। गांव में भी वह अपनी बाइक के लिए जाना जाता था। “वो जहां भी जाता, बाइक उसके साथ होती थी। उसकी पहचान बन गई थी वो बाइक,” एक रिश्तेदार ने कहा।
अंतिम विदाई, जो याद बन गई
उसकी मौत के बाद, जब परिवार ने अंतिम संस्कार की तैयारियां कीं, तो एक असामान्य फैसला लिया गया — “अगर उसे बाइक से इतना प्यार था, तो वो उसके बिना कैसे जाए?” इस सोच के साथ उसकी बाइक को भी कब्र में उतारा गया। यही नहीं, साथ में उसका हेलमेट, कुछ किताबें और एक छोटा सा खिलौना भी रखा गया — वो खिलौना जो वह बचपन से अपने पास रखता था।
भावनाओं ने तोड़ीं रस्मों की दीवारें
यह विदाई सिर्फ़ एक शव को दफनाने की प्रक्रिया नहीं थी, यह उस प्यार का इज़हार था जो चीज़ों से नहीं, उनके साथ जुड़े जज़्बातों से होता है। ये उन रिश्तों की कहानी थी जो खून के नहीं, एहसासों के होते हैं।
गांव में छाया सन्नाटा, लेकिन दिल में बस गई एक कहानी
उत्तरसंडा गांव के लोग इस नज़ारे को शायद कभी न भूल पाएंगे। वहां मौजूद हर आंख नम थी, और हर दिल में एक ही बात थी — कभी एक शौक़, कभी एक साथी… और अब एक आख़िरी याद बन गया वो बाइक।
यह घटना हमें यह समझने पर मजबूर करती है कि इंसान के जज़्बात किसी रस्म से बंधे नहीं होते। और कभी-कभी, एक विदाई भी ज़िंदगी की सबसे सच्ची मोहब्बत को बयां कर जाती है।
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