Phad Chitra: राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर में स्थित प्रसिद्ध जवाहर कला केंद्र (जेकेके), कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में हमेशा अग्रणी रहा है। इसी कड़ी में, जेकेके द्वारा आयोजित जूनियर समर कैंप (Junior Summer Camp) बच्चों के लिए सीखने और रचनात्मकता का एक शानदार मंच बन गया है। इस कैंप का उद्देश्य केवल बच्चों को आधुनिक कलाओं (Modern Arts) से परिचित कराना नहीं है, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति (Indian Culture) की समृद्ध विरासत से जोड़ना भी है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, बच्चों को विभिन्न लोक और पारंपरिक कलाओं (Folk and Traditional Arts) का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
लुप्त होती ‘Phad Chitra’ कला का पुनरुद्धार
इस समर कैंप में एक खास आकर्षण ‘फड़ चित्रण’ (Phad Chitra) है। यह एक ऐसी पारंपरिक कला शैली है जो समय के साथ धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। प्रशिक्षक अभिषेक जोशी (Abhishek Joshi) बताते हैं कि फड़ चित्रण की क्लास में 10 से 16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे पूरे उत्साह और लगन के साथ भाग ले रहे हैं। बच्चों में इस प्राचीन कला को सीखने की उत्सुकता देखते ही बनती है। अभिषेक जोशी के अनुसार, यह सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि राजस्थान की गौरवशाली विरासत (Rajasthan’s Glorious Heritage) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाना बेहद ज़रूरी है। सह-प्रशिक्षक सीमा जोशी (Seema Joshi) भी बच्चों को यह कला सिखाने में अपना बहुमूल्य सहयोग दे रही हैं, जिससे सीखने का माहौल और भी बेहतर बन रहा है।
#KargilVijayDiwas#APSJaipur organized an open house painting competition wherein students from Class 6th-12th showcased their talent. Best paintings are being exhibited at 'VEER SMRITI' Exhibition at Jawahar Kala Kendra, Jaipur by #AWWA#SaptaShaktiCommand@OfficialAwwa@adgpi pic.twitter.com/FpN7RRRPRd
— SouthWesternCommand_IA (@SWComd_IA) July 23, 2023
Phad Chitra की बारीकियां: अनुपात और कल्पना का संगम
फड़ चित्रण अपनी विशिष्ट शैली और तकनीक के लिए जाना जाता है। अभिषेक जोशी बताते हैं कि इस कला में मुख्य रूप से देवी-देवताओं के चित्र (Depiction of Deities) बनाए जाते हैं। हर आकृति को एक निश्चित अनुपात (Fixed Proportion) के आधार पर सावधानीपूर्वक रचा जाता है, जो इस कला को एक अनूठी पहचान देता है। फूलों और पत्तों को चित्रित करने की शैली भी विशिष्ट तकनीकों (Specific Techniques) पर आधारित होती है, जो इसे अन्य चित्रकला शैलियों से अलग करती है।
कैंप में बच्चे अपनी कल्पनाओं (Imagination) को कैनवास (Canvas) पर खूबसूरती से उकेर रहे हैं। उन्होंने राधा-कृष्ण (Radha-Krishna), रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान श्रीगणेश (Lord Ganesha with Riddhi-Siddhi), झूले पर झूलती महिला और केले के पेड़ (Banana Tree) जैसी विभिन्न कलाकृतियों (Artworks) को चित्रित किया है। हालांकि, पारंपरिक Phad Chitra में स्टोन कलर (Stone Colors) का उपयोग किया जाता है, लेकिन कैंप में बच्चों को जलरंगों (Watercolors) का उपयोग करना सिखाया जा रहा है, ताकि वे आसानी से इस कला को सीख सकें और इसका अभ्यास कर सकें। यह एक ऐसा तरीका है जिससे बच्चों को कला के मूल सिद्धांतों से परिचित कराया जा सके।
बच्चों के लिए Phad Chitra का महत्व
यह प्रशिक्षण केवल बच्चों की कला में रुचि (Interest in Art) ही नहीं बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें धीरे-धीरे इस प्राचीन कला में निपुण (Proficient) भी बना रहा है। फड़ चित्रण जैसी पारंपरिक कलाओं को सीखकर बच्चे न केवल रचनात्मक रूप से विकसित हो रहे हैं, बल्कि अपनी जड़ों से भी जुड़ रहे हैं। यह उन्हें अपनी संस्कृति, इतिहास और कलात्मक परंपराओं को समझने का अवसर प्रदान करता है।
जेकेके द्वारा आयोजित यह समर कैंप दिखाता है कि कैसे कला और संस्कृति को एक साथ मिलाकर बच्चों को समग्र विकास (Holistic Development) प्रदान किया जा सकता है। यह पहल बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान और जागरूकता भी पैदा करती है। इस तरह के कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी पारंपरिक कलाएँ समय की कसौटी पर खरी उतरें और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवित रहें।
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