Maharashtra विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की करारी हार के बाद गठबंधन में दरार की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कांग्रेस, उद्धव गुट की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी वाली महाविकास अघाड़ी ने इस चुनाव में केवल 46 सीटों पर ही जीत हासिल की, जबकि कुल 288 सीटों के लिए चुनाव हुआ था। इस परिणाम के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में भीतरघात की अटकलें तेज हो गई हैं और पार्टी के कुछ नेता अब यह महसूस करने लगे हैं कि पार्टी को भविष्य में अकेले चुनाव लड़ने की आवश्यकता है।
चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना में खिंचाव
Maharashtra: शिवसेना ठाकरे गुट के पदाधिकारियों और हारने वाले उम्मीदवारों की बैठक हुई, जिसमें पार्टी के कई नेताओं ने अपने विचार साझा किए। इस बैठक के बाद शिवसेना के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत दानवे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पार्टी के एक बड़े वर्ग में यह भावना उभरकर सामने आई है कि पार्टी को भविष्य में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने चाहिए। उन्होंने बताया कि बहुत से कार्यकर्ताओं ने अपनी राय दी कि पार्टी को गठबंधन से बाहर आकर अपने दम पर चुनाव लड़ने की आवश्यकता है।
महाविकास अघाड़ी के गठबंधन पर उठे सवाल
Maharashtra: शिवसेना के इस बयान के बाद महाविकास अघाड़ी के भीतर एक नई राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। खासकर उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच, जो महाविकास अघाड़ी के तहत एकजुट हो कर चुनावी मैदान में उतरे थे। पार्टी में यह विचार किया जा रहा है कि गठबंधन से बाहर निकलने से शिवसेना को न केवल आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि वह अपनी विचारधारा के हिसाब से चुनाव लड़ सकेगी।
पार्टी का स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विचार
Maharashtra विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की हार के बाद शिवसेना में एक नया विमर्श शुरू हो गया है। शिवसेना के नेता चंद्रकांत दानवे ने कहा कि पार्टी केवल सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बनी है, बल्कि यह एक विचारधारा पर काम करने वाली पार्टी है। उनका मानना है कि भविष्य में शिवसेना को अकेले चुनाव लड़ने चाहिए ताकि वह अपनी सिद्धांतों के मुताबिक काम कर सके। दानवे के इस बयान के बाद पार्टी के कई कार्यकर्ताओं में यह भावना पनपी है कि शिवसेना को गठबंधन से बाहर आकर स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरना चाहिए। हालांकि, इस विचार से महाविकास अघाड़ी के अन्य घटक दलों में चिंता का माहौल है, क्योंकि यदि शिवसेना ने ऐसा किया तो इससे गठबंधन की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं, और आगामी चुनावों में महाविकास अघाड़ी का भविष्य प्रभावित हो सकता है।

कांग्रेस और एनसीपी की प्रतिक्रिया
Maharashtra: महाविकास अघाड़ी के अन्य दलों की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के भीतर यह आशंका जताई जा रही है कि शिवसेना अगर गठबंधन से बाहर जाती है तो इससे कांग्रेस और एनसीपी के लिए भी कई नई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या शिवसेना अपने आत्मनिर्भर चुनावी अभियान के लिए अपनी राह अलग करेगी या फिर गठबंधन के भीतर रहकर आगामी चुनावों की तैयारी करेगी।
भाजपा के साथ संभावित समीकरण
Maharashtra: इस हार के बाद शिवसेना के नेताओं में एक अन्य महत्वपूर्ण सवाल यह उठ रहा है कि क्या वे भाजपा के साथ फिर से गठबंधन करेंगे। भाजपा ने राज्य में 288 सीटों में से 122 सीटें जीती हैं, जो कि बहुत बड़ी संख्या है। शिवसेना के कुछ नेता यह भी मानते हैं कि भविष्य में भाजपा के साथ गठबंधन से उन्हें अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे गुट की यह भी कोशिश होगी कि वह भाजपा से अलग अपनी पहचान बनाए रखे

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