22 में सबसे युवा पार्षद, 44 में बने महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा सीएम Devendra Fadnavis

By Editor
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Devendra Fadnavis

Devendra Fadnavis की राजनीतिक यात्रा: महाराष्ट्र के तीसरे बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी

महाराष्ट्र में एक लंबी सियासी उठापटक के बाद, आखिरकार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने Devendra Fadnavis को फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। बीजेपी विधायक दल की मीटिंग में उनके नाम पर मुहर लगाई गई, और अब वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। Devendra Fadnavis की राजनीतिक यात्रा न सिर्फ संघर्ष और परिश्रम से भरी हुई है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में उनके मजबूत नेतृत्व की एक मिसाल भी प्रस्तुत करती है। आइए जानते हैं उनकी राजनीतिक यात्रा के बारे में विस्तार से।

शुरुआत: आरएसएस से राजनीति की राह पर

Devendra Fadnavis का राजनीतिक करियर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शुरू हुआ। वह 1990 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सक्रिय सदस्य रहे। इसके बाद, 1992 में उन्होंने नागपुर के राम नगर वार्ड से नगर निगम चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही वह 22 वर्ष की आयु में सबसे युवा पार्षद बने। उनके नेतृत्व में राजनीति का सफर यहीं से शुरू हुआ। इसके बाद, 1997 में Devendra Fadnavis नागपुर नगर निगम के सबसे युवा मेयर बने और भारत के दूसरे सबसे युवा मेयर भी बने। इस तरह, उनकी राजनीति में सफलता की शुरुआत हुई और उनका नाम राज्य भर में गूंजने लगा।

राज्य विधानसभा में कदम और युवा मुख्यमंत्री बनने का सफर

Devendra Fadnavis ने 1999 में महाराष्ट्र विधानसभा में कदम रखा और लगातार तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में सेवा दी। इसके बाद 2014 में उनकी राजनीति ने नया मोड़ लिया। वह भारतीय जनता पार्टी के नेता के तौर पर पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उस समय उन्होंने नितिन गडकरी और एकनाथ खडसे जैसे बड़े नेताओं को नजरअंदाज करते हुए नेतृत्व की कमान संभाली, जो उनके मजबूत नेतृत्व और पार्टी में उनकी पकड़ को दर्शाता है। फडणवीस का मुख्यमंत्री बनने के बाद यह भी ऐतिहासिक था कि वह वसंतराव नाईक के बाद 1972 में पहला मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया और दोबारा सत्ता में लौटे।

मुख्यमंत्री के तौर पर ऐतिहासिक कार्यकाल

2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, Devendra Fadnavis ने राज्य में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। वह महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने जिन्होंने पूर्ण कार्यकाल पूरा किया और फिर से सत्ता में लौटे। उनके कार्यकाल में महाराष्ट्र ने कई अहम विकासात्मक कदम उठाए, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, किसानों की समस्याओं का समाधान और राज्य में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना प्रमुख था। इसके अलावा, उनकी सरकार ने राज्य में कई सुधारात्मक नीतियों को लागू किया, जो राज्य के लोगों के लिए लाभकारी साबित हुईं।

पारिवारिक जीवन और शिक्षा

Devendra Fadnavis का जन्म 22 जुलाई, 1970 को हुआ था। उनके पिता गंगाधरराव फडणवीस और मां सरिता फडणवीस थे। फडणवीस ने कानून में ग्रेजुएशन किया और बाद में 1998 में जर्मनी के डाहलम स्कूल ऑफ एजुकेशन से बिजनेस मैनेजमेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा प्राप्त किया। उनकी शादी 2006 में अमृता फडणवीस से हुई, और दोनों की एक बेटी है। उनका पारिवारिक जीवन भी हमेशा मीडिया में चर्चा का विषय रहा है।

विपक्ष के नेता के तौर पर संघर्ष

2019 में विधानसभा चुनावों के बाद देवेंद्र फडणवीस को विपक्ष का नेता बनाया गया। चुनावी हार के बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक संघर्ष को जारी रखा और राज्य में विपक्षी दलों के खिलाफ आवाज उठाई। यह समय उनके लिए कठिन था, लेकिन उन्होंने इस कठिन दौर को पार किया और फिर से बीजेपी के लिए एक मजबूत नेता के तौर पर उभरे। उनके द्वारा की गई आलोचनाएं और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने से उन्हें एक नए राजनीतिक युग की ओर अग्रसर किया।

2019 में किए गए वादे और वापसी

2019 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद, Devendra Fadnavis ने उद्धव ठाकरे को चेतावनी देते हुए कहा था, “मेरा पानी उतरा देखकर मेरे किनारे घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस जरूर आऊंगा।” यही बात अब सच साबित हो रही है, क्योंकि उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री पद पर वापसी की है। फडणवीस की यह राजनीतिक वापसी राज्य की राजनीति में एक नई लहर लेकर आई है। अब वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, और उनका यह सफर एक बार फिर से उनके नेतृत्व की ताकत को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री पद पर वापसी: बीजेपी का समर्थन और नेतृत्व की ताकत

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर Devendra Fadnavis की वापसी के बाद उनके नेतृत्व को लेकर बीजेपी के भीतर और बाहर दोनों जगह उत्साह है। पार्टी ने उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है, और यह उनके मजबूत नेतृत्व, समर्पण और राज्य के लिए उनके योगदान का परिणाम है। उनके नेतृत्व में, महाराष्ट्र ने विकास की नई ऊँचाइयों को छुआ है, और अब उनकी वापसी से पार्टी को उम्मीद है कि राज्य की राजनीति में फिर से मजबूती आएगी।

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