दिल्ली विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और दोनों प्रमुख पार्टियां—भा.ज.पा. और आम आदमी पार्टी (AAP)—अपने-अपने चुनावी रणनीतियों को अमली जामा पहनाने में जुटी हुई हैं। दोनों पार्टियां विभिन्न कॉलोनियों में जाकर जनता से सीधे संवाद स्थापित कर रही हैं और उनके मुद्दों को समझने के साथ ही अपनी घोषणाओं को जनता की अपेक्षाओं के अनुसार तैयार कर रही हैं। इस दौरान आरडब्लूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) और स्थानीय लोगों से सीधे बातचीत का सिलसिला लगातार जारी है।
AAP और BJP के जनसंपर्क अभियान में एक जैसी रणनीतियाँ
AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल जब से जेल से बाहर आए हैं, तब से वे अपनी पार्टी के लिए जनसंपर्क का अभियान और तेज़ कर रहे हैं। उनका मुख्य आरोप है कि केंद्र सरकार दिल्ली के विकास में लगातार रुकावट डाल रही है, जबकि उनकी पार्टी दिल्ली की जनता के लिए काम करने का हर संभव प्रयास कर रही है। केजरीवाल इस समय अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर रहे हैं और साथ ही कई प्रमुख नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने का दावा कर रहे हैं।
AAP के अनुसार, उनका घोषणापत्र हर बार मोहल्ला और कॉलोनी के लोगों से चर्चा करके तैयार किया जाता है, जिससे वे स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर सके। इस बार भी आप पार्टी इस रणनीति को दोहरा रही है। वे माइक्रो लेवल पर समस्याओं की पहचान करके और उन्हें दूर करने की कोशिश कर रही हैं। दिल्ली के हर क्षेत्र में खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा और जल, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के मुद्दे पर उनका ध्यान केंद्रित है।
वहीं, भाजपा भी अपनी चुनावी तैयारियों में जुटी है और जनता से संपर्क साधने के लिए नई रणनीतियाँ अपना रही है। भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि उनका संकल्प पत्र (घोषणापत्र) पूरी तरह से दिल्लीवासियों के सुझावों पर आधारित होगा। इसके लिए भाजपा ने शनिवार से 14 वैन दिल्ली के विभिन्न जिलों में तैनात की हैं। ये वैन घर-घर जाकर लोगों से उनके सुझाव इकट्ठा करेंगी, जिन्हें फिर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से चिन्हित कर एक अलग संकल्प पत्र तैयार किया जाएगा।
सोनिया केजरीवाल और भाजपा नेताओं का संवाद: महिला, बच्चों और स्थानीय मुद्दों पर फोकस
AAP पार्टी की ओर से अरविंद केजरीवाल की पत्नी, सुनीता केजरीवाल भी सक्रिय रूप से दिल्ली की कॉलोनियों में जाकर महिलाओं और बच्चों से संवाद कर रही हैं। वे खासकर अरविंद केजरीवाल के विधानसभा क्षेत्र नई दिल्ली में काफी सक्रिय हैं। वे बताती हैं कि कैसे अरविंद केजरीवाल शिक्षा और बच्चों के भविष्य के बारे में सोचते हैं।
उनका कहना है कि दिल्ली सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो सुधार किए हैं, वह दिल्लीवासियों के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं। वे बच्चों से सवाल पूछती हैं और उनके साथ आत्मीयता से पेश आती हैं, जिससे बच्चों और उनके माता-पिता पर सकारात्मक असर पड़ता है। सुनीता केजरीवाल का मानना है कि शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। वे कहती हैं, “आपको यह सोचने की जरूरत है कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली में क्या सुधार हुआ है—क्या सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर हुई है? क्या अस्पतालों में सुधार हुआ है?”
इसके अलावा, भाजपा के नेता भी अपनी योजनाओं के जरिए दिल्लीवासियों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में AAP ने दिल्ली को बदतर बना दिया है। भाजपा नेताओं का आरोप है कि टूटी सड़कों, सीवर की समस्या, बिजली के अत्यधिक बिल, प्रदूषण और अव्यवस्थित बिजली तारों की स्थिति से दिल्लीवासियों को परेशानी हो रही है। भाजपा का दावा है कि वे सत्ता में आने के बाद इन समस्याओं का समाधान करेंगे और दिल्ली को एक नई दिशा देंगे।
AAP और BJP दोनों के संकल्प पत्र पर जनता की सहमति का सवाल
दिल्ली चुनाव में दोनों प्रमुख पार्टियों की रणनीति साफ है—AAP अपनी उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर फोकस कर रही है, जबकि भाजपा पार्टी आप की नीतियों और उनके कामकाज पर सवाल उठा रही है। दोनों पार्टियां जनता के बीच जाकर सीधे संवाद स्थापित करने और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश कर रही हैं।
भा.ज.पा. के मुताबिक, उनका संकल्प पत्र जनता के सुझावों से तैयार होगा और वे जनता की वास्तविक समस्याओं को प्राथमिकता देंगे। इस प्रकार, भाजपा और आप दोनों के चुनावी घोषणापत्र पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों और जनता के विचारों के आधार पर तैयार किए जाएंगे।
इस बार के दिल्ली चुनावों में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता किन मुद्दों पर ध्यान देगी—क्या वे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं में सुधार चाहेंगे, या फिर दिल्ली के विकास में आ रही रुकावटों के खिलाफ आवाज उठाएंगे?
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