लोकसभा परिसीमन पर Amit Shah का बयान: दक्षिणी राज्यों में कोई नुकसान नहीं होगा
Amit Shah: भारत में लोकसभा और विधानसभा के परिसीमन की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन गया है, खासकर जब 2029 के चुनावों की बात हो रही है। परिसीमन जनगणना के बाद किया जाता है, ताकि निर्वाचन क्षेत्रों के आकार और जनसंख्या के बीच एक संतुलन स्थापित किया जा सके।
यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में लगभग समान जनसंख्या का प्रतिनिधित्व हो। परिसीमन का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करना है, ताकि चुनाव में निष्पक्षता बनी रहे।
सीटों का परिसीमन: उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच असमानता
भा.ज.पा. नेता और केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने बुधवार को लोकसभा सीटों के परिसीमन पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि परिसीमन के बाद किसी भी दक्षिणी राज्य, खासकर तमिलनाडु में संसदीय प्रतिनिधित्व में कोई कमी नहीं होगी।
उनके बयान के बाद दक्षिणी राज्यों, विशेषकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के नेताओं के मन में उठ रहे डर को सिरे से खारिज कर दिया गया। उनका कहना था कि परिसीमन जनसंख्या के अनुपात में किया जाएगा, और इससे दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम नहीं होगा।
दक्षिणी राज्यों में सीटों का संकट?
कुछ समय से दक्षिण भारत के नेताओं ने यह चिंता जताई थी कि यदि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर हुआ, तो उनके राज्यों को लोकसभा सीटों में नुकसान हो सकता है।
इसके पीछे उनका तर्क यह था कि उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत की जनसंख्या वृद्धि दर कम रही है, जिससे उनके राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या घट सकती है। इसके अलावा, दक्षिण भारत में आबादी में वृद्धि की गति धीमी रही है, जिसके कारण संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी का डर भी उत्पन्न हुआ था।
तमिलनाडु में परिसीमन और मुख्यमंत्री स्टालिन का रुख
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई थी और आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की ओर से दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय हो सकता है। उनका कहना था कि अगर परिसीमन जनसंख्या के अनुपात में हुआ, तो तमिलनाडु को सीटों में कमी हो सकती है।
इस पर Amit Shah ने कहा कि इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं और केंद्र सरकार तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी।
Amit Shah का जवाब: जनसंख्या अनुपात में कोई भेदभाव नहीं
Amit Shah ने बुधवार को कहा, “जब परिसीमन यथानुपात आधार पर किया जाएगा तो तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य में संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं होगी।”
Amit Shah ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि परिसीमन के बाद किसी भी राज्य को एक सीट भी नहीं गंवानी पड़ेगी। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए इसे “ध्यान भटकाने” की कोशिश करार दिया और कहा कि सरकार ने इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाया है।
आंध्र प्रदेश और अन्य दक्षिणी राज्य: सीएम चंद्रबाबू नायडू की अपील
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कुछ महीनों पहले अपने राज्य के नागरिकों से दो से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील की थी। उनका कहना था कि आंध्र प्रदेश के कई गांवों में केवल वृद्ध लोग रह गए हैं, जबकि देश को काम करने वाली युवा शक्ति की आवश्यकता है।
इसी तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी समान बयान दिया था। हालांकि, उनका तर्क यह था कि यदि जनसंख्या संतुलन सही नहीं रखा गया तो संसद में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व घट सकता है और राष्ट्रीय निर्णयों में उनका प्रभाव भी कम हो सकता है।
लोकसभा सीटों में बढ़ोतरी: उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश
Amit Shah: लोकसभा की कुल 543 सीटों में से परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में सीटों की संख्या बढ़ने का अनुमान है। वहीं, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटका जैसे राज्यों को सीटों में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
यदि जनसंख्या के अनुपात में परिसीमन हुआ, तो केरल की लोकसभा सीटों की संख्या 20 से घटकर 19 हो सकती है, जबकि उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या में 14 का इजाफा हो सकता है। बिहार और मध्य प्रदेश में भी सीटों की संख्या बढ़ने की संभावना है। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि परिसीमन के बाद किसी राज्य की सीटें घटेंगी नहीं।
परिसीमन की प्रक्रिया और महत्व
Amit Shah: परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें चुनाव आयोग और एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है। यह आयोग जनसंख्या के आंकड़ों का विश्लेषण करता है और उन आधारों पर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करता है।
यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सभी निर्वाचन क्षेत्रों में समान जनसंख्या का प्रतिनिधित्व हो, जिससे लोकतंत्र को मजबूती मिले। परिसीमन का उद्देश्य संसदीय और राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व को जनसंख्या के अनुसार सही तरीके से संतुलित करना है।
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