भारत और Americaके बीच द्विपक्षीय साझेदारी का नया दौर: 500 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य के साथ वैश्विक सहयोग का विस्तार
भारत और America ने हाल ही में अपनी द्विपक्षीय साझेदारी को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें ऊर्जा, रक्षा, प्रौद्योगिकी, व्यापार और सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई बैठक में यह निर्णय लिए गए। इन फैसलों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना और महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना है।
1. America-भारत कॉम्पैक्ट: नए अवसरों की दिशा में पहल
भारत और America ने सैन्य साझेदारी, वाणिज्य, प्रौद्योगिकी और नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए अमेरिका-भारत कॉम्पैक्ट की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य 21वीं सदी में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना और रक्षा, निवेश, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में परिवर्तनकारी कदम उठाना है।
2. रक्षा साझेदारी: नई शुरुआत
दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नए मुकाम पर ले जाने के लिए एक नई रणनीति तैयार की गई है। America ने भारत को उन्नत रक्षा प्लेटफॉर्म्स और प्रौद्योगिकियों की पेशकश की है। इसके अंतर्गत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों, स्वायत्त प्रणाली, और समुद्र के नीचे की प्रणालियों पर सहयोग को गति देने की योजना है। साथ ही, भारत-अमेरिका के बीच रक्षा बिक्री और सह-उत्पादन के विस्तार की योजना बनाई गई है।
3. द्विपक्षीय व्यापार: मिशन 500
भारत और America ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसे “मिशन 500” नाम दिया गया है। 2025 तक दोनों देशों के बीच बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की शुरुआत की जाएगी। भारत के 7.355 अरब डॉलर के निवेश से अमेरिका में 3000 उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां सृजित की गई हैं।
4. प्रौद्योगिकी और नवाचार: America-भारत ट्रस्ट पहल
America और भारत ने एक नई पहल – “अमेरिका-भारत ट्रस्ट” की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष जैसे उभरते क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके तहत उद्योग, शिक्षा, और सरकारी साझेदारी को मजबूत किया जाएगा, जिससे नए नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा।
5. ऊर्जा सुरक्षा: साझेदारी में मजबूती
भारत और America ने ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने की योजना बनाई है। अमेरिका-भारत 123 असैन्य परमाणु समझौते को पूरी तरह से लागू करते हुए, भारत में अमेरिकी डिज़ाइन किए गए परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और स्थानीयकरण के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, America ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल होने का समर्थन किया है।
6. शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग: लोगों से लोगों के संबंध
भारत और America ने शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग को भी महत्वपूर्ण माना है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय छात्रों का योगदान 8 बिलियन डॉलर से अधिक है, और इस योगदान को मान्यता दी गई है। दोनों देशों ने उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को और मजबूत करने के लिए संयुक्त डिग्री, ट्यूनींग प्रोग्राम और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। साथ ही, छात्र वीजा और पेशेवर गतिशीलता को सुव्यवस्थित करने के उपायों पर भी चर्चा की गई है।
7. बहुपक्षीय सहयोग: नई पहलें और रणनीतियाँ
भारत और America ने क्वाड, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिमी हिंद महासागर में अपने बहुपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने का संकल्प लिया है। इन दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में एक नई बहुपक्षीय साझेदारी स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसमें आर्थिक कनेक्टिविटी और वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मेटा द्वारा समुद्र के नीचे केबल परियोजना में बहु-अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र को वैश्विक डिजिटल राजमार्ग से जोड़ने में मदद मिलेगी।
8. आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता: पाकिस्तान पर दबाव
भारत और America ने पाकिस्तान को 26/11 और पठानकोट हमलों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रेरित किया है। इसके साथ ही, पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है कि उसके क्षेत्र का उपयोग सीमा पार आतंकवादी हमलों के लिए नहीं किया जाएगा। America ने इस संदर्भ में तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दी है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है।
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