PM Modi का थाईलैंड दौरा: ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘एक्ट वेस्ट’ नीति की संयुक्त प्रगति
PM Modi ने थाईलैंड में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान भारत और थाईलैंड के बीच पारस्परिक समृद्धि और सहयोग की दिशा में की जा रही प्रगति पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और थाईलैंड की ‘एक्ट वेस्ट’ नीति की सराहना की और कहा कि ये दोनों नीतियां एक-दूसरे की पूरक हैं, जो दोनों देशों के लिए विकास और समृद्धि की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
भारत-थाईलैंड के सांस्कृतिक संबंध
PM Modi ने भारतीय और थाईलैंड के बीच 2000 वर्षों से अधिक के गहरे सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने रामायण और रामकियेन जैसे महाकाव्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि इन दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक साझेदारी कितनी मजबूत है। साथ ही, भगवान बुद्ध के प्रति साझा श्रद्धा ने दोनों देशों के रिश्तों को और भी मजबूती दी है।
समाज और आर्थिक उन्नति पर बल
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में चर्चा करते हुए कहा कि एशियाई शताब्दी केवल आर्थिक समृद्धि की नहीं बल्कि सामाजिक मूल्यों की भी है। उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षा का हवाला देते हुए कहा कि उनका ज्ञान आज भी समाज को शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बनाने में मार्गदर्शन कर सकता है।
संघर्ष से बचने की आवश्यकता
PM Modi ने संघर्षों के कारणों पर भी विचार किए और भगवान बुद्ध के दृष्टिकोण का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि संघर्ष अक्सर इस विश्वास से उत्पन्न होते हैं कि केवल एक ही रास्ता सही है और अन्य गलत हैं। उन्होंने ऋग्वेद के हवाले से यह बताया कि विभिन्न दृष्टिकोणों को स्वीकार करना संघर्ष से बचने का उपाय है। PM Modi ने यह भी कहा कि दूसरों को अपने जैसा मानकर हम दुनिया में शांति कायम कर सकते हैं।
आधुनिक समय में अतिवाद के खतरें
PM Modi ने अत्यधिक विचारधारा (अतिवाद) के प्रभाव को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह दुनिया के कई मुद्दों, जैसे संघर्ष, पर्यावरण संकट, और स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ हो सकता है। उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में निहित ‘मध्यम मार्ग’ की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि संयम और संतुलन के सिद्धांत को अपनाने से इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग
PM Modi ने महात्मा गांधी की ‘ट्रस्टीशिप’ की अवधारणा को भी ध्यान में रखा और कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते वक्त हमें आने वाली पीढ़ियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए। उनका मानना था कि संसाधनों का उपयोग केवल विकास के उद्देश्य से किया जाना चाहिए, न कि लालच के लिए।
प्रकृति और मानवता के बीच सामंजस्य
प्रधानमंत्री ने एशियाई परंपराओं की अहमियत पर जोर दिया, जिसमें धर्मों जैसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और शिंटोवाद की साझा परंपराओं का उल्लेख किया गया। उन्होंने कहा कि इन परंपराओं से यह सिखने को मिलता है कि हमें प्रकृति को केवल एक संसाधन के रूप में नहीं, बल्कि एक अभिन्न अंग के रूप में देखना चाहिए।
भारत सरकार की नीतियों में भगवान बुद्ध का प्रभाव
PM Modi ने कहा कि भारत सरकार की नीतियां भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के अनुरूप हैं, और विशेष रूप से उनके दर्शन में निहित शांति और संयम को ध्यान में रखते हुए सरकार कार्य करती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वह स्वयं ऐसे क्षेत्रों से आते हैं, जो भगवान बुद्ध से जुड़े हुए हैं, जैसे वडनगर और वाराणसी, जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था।
आध्यात्मिक और धार्मिक यात्रा
PM Modi ने बताया कि उनकी यात्रा का मार्ग भगवान बुद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण जगहों से होकर गुजरता है, जो उनके जीवन और राजनीति को प्रभावित करते हैं। उनका कहना था कि भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा भारत सरकार की नीतियों में झलकती है, और उनके संदेश को हम हमेशा अपने जीवन और कार्यों में उतारने का प्रयास करते हैं।
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