Amit Shah का महाकुंभ में पवित्र स्नान: संगम में आस्था और एकता का संदेश
केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर पवित्र डुबकी लगाई। यह आयोजन सनातन संस्कृति के प्रतीक महाकुंभ का हिस्सा था, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस अवसर पर Amit Shah के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे और उन्होंने भी पवित्र स्नान किया।
महाकुंभ और सनातन संस्कृति का प्रतीक
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है, जो समरसता और एकता का प्रतीक है। केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे “सनातन संस्कृति की अविरल धारा” और “कुंभ समरसता पर आधारित हमारे सनातन जीवन-दर्शन” का प्रतीक बताया। इससे यह स्पष्ट होता है कि महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एकता, अखंडता और भारत की प्राचीन सभ्यता की झलक भी है।
Amit Shah ने महाकुंभ में स्नान के बाद गंगा मैया को पुष्प, नारियल और चुनरी भेंट की और गंगा आरती का आयोजन किया। इसके बाद वह लेटे हनुमान जी और अक्षय वट के दर्शन करने के लिए भी पहुंचे, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और महाकुंभ के दौरान खास इंतजाम
केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah की सुरक्षा के लिए पूरे मेला क्षेत्र में चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे। महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच केंद्रीय मंत्री की सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखा गया। Amit Shah का प्रयागराज में एक संक्षिप्त दौरा था, जिसमें उन्होंने चार घंटे से अधिक समय तक मेला क्षेत्र में रहकर विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लिया।
Amit Shah के साथ अन्य प्रमुख नेताओं का महाकुंभ में योगदान
Amit Shah के साथ उनके कई प्रमुख सहयोगी भी महाकुंभ में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ-साथ अन्य मंत्री और नेता भी इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बने। इस दौरान उन्होंने कुंभ के आयोजन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की तैयारियों का भी निरीक्षण किया।
Amit Shah ने धार्मिक क्रियाकलापों में भाग लेने के अलावा संतों और धर्मगुरुओं से भी मुलाकात की। स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर जूना अखाडा और अन्य संतों के साथ भोजन करने की योजना थी। बाद में उन्होंने गुरू शरणानंद जी महाराज, गोविंद गिरी जी महाराज, और शंकराचार्य जी से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने इन महापुरुषों से आशीर्वाद लिया और उनके साथ विचार-विमर्श भी किया।
महाकुंभ और संतों का आशीर्वाद
Amit Shah ने अपने दौरे के दौरान महाकुंभ के धार्मिक महत्व को और अधिक बढ़ाया। उन्होंने संतों से आशीर्वाद लिया और उन्हें सम्मानित किया। विशेष रूप से शंकराचार्य जी से भेंट के दौरान उन्होंने भारत की धार्मिक धरोहर और संस्कृति की रक्षा के महत्व पर भी जोर दिया।
महाकुंभ के दौरान विभिन्न धर्मगुरुओं का आशीर्वाद लेना और उनके साथ समय बिताना Amit Shah के राजनीतिक दृष्टिकोण और धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि भारतीय राजनीति में धर्म और संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका है, और नेताओं को हमेशा अपने धार्मिक कर्तव्यों और आस्थाओं के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
प्रयागराज में धर्म संसद और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ
प्रयागराज में इस समय धर्म संसद भी आयोजित हो रही है, जिसमें कई प्रमुख संत और शंकराचार्य हिस्सा ले रहे हैं। इस धार्मिक संसद का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और समाज की एकता को बढ़ावा देना है। Amit Shah ने धर्म संसद की महत्ता को भी समझा और उसे समर्थन देने का इरादा व्यक्त किया।
Amit Shah का महाकुंभ पर विचार
Amit Shah ने अपने ट्वीट में महाकुंभ के महत्व को बताते हुए कहा कि “महाकुंभ सनातन संस्कृति की अविरल धारा का अद्वितीय प्रतीक है। कुंभ समरसता पर आधारित हमारे सनातन जीवन-दर्शन को दर्शाता है। आज धर्म नगरी प्रयागराज में एकता और अखंडता के इस महापर्व में संगम स्नान करने और संतजनों का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक हूं।”
उनके इस बयान से यह स्पष्ट है कि वह महाकुंभ को केवल एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय एकता और अखंडता का प्रतीक मानते हैं। महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है जो भारतीय समाज की विविधता को एक सूत्र में बांधता है और उसे एकजुट करता है।
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