Ashok Gehlot ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया, कहा सरकारी स्कूलों को बर्बाद करने का लिया गया संकल्प
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Ashok Gehlot ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों को बर्बाद करने का संकल्प ले लिया है। Ashok Gehlot का यह बयान सरकारी स्कूलों में नामांकन में आई कमी को लेकर था, जिसमें लाखों विद्यार्थियों की संख्या घटने की बात कही जा रही है। गहलोत ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति गठित की है, जो उनकी नजर में सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है।
राज्य सरकार की योजनाओं पर गहलोत की प्रतिक्रिया
Ashok Gehlot ने राज्य सरकार द्वारा महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय समिति के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह कहा कि यह निर्णय सरकारी स्कूलों के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने जैसा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम दिखाता है कि वे निजी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के दबाव में आकर यह कदम उठा रहे हैं। Ashok Gehlot ने आरोप लगाया कि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार करने की बजाय, राज्य सरकार ऐसी नीतियां बना रही है, जो सरकारी स्कूलों के अस्तित्व को खतरे में डाल सकती हैं।
उन्होंने मीडिया में आई उन खबरों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक के बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर और जूते जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। यह भी बताया गया कि इन समस्याओं के बावजूद सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने का कदम उठाया है, जो गहलोत के अनुसार, राज्य सरकार के दुष्प्रेरित फैसलों का संकेत है।
पार्टी की आलोचना और सरकारी शिक्षा का भविष्य
Ashok Gehlot ने भाजपा सरकार के कदमों की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि अगर सरकार को इन महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में कोई कमी दिखाई दे रही थी, तो उसे सुधारने के बजाय सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा है। उनके अनुसार, यह कदम सरकारी स्कूलों की स्थिति को और भी खराब कर सकता है, जबकि इन स्कूलों के छात्रों को निजी स्कूलों के मुकाबले समान या बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किए गए थे। गहलोत ने यह भी कहा कि यह फैसला राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी से भागने का संकेत है।
सरकारी स्कूलों की स्थिति और सुधार की आवश्यकता
Ashok Gehlot ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की बजाय, राज्य सरकार की नीतियां इन स्कूलों को और भी कमजोर बना रही हैं। उनका कहना था कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन सरकार की वर्तमान नीतियों के कारण सरकारी स्कूलों की स्थिति लगातार खराब हो रही है। गहलोत ने इसे एक गंभीर चिंता का विषय बताया और सरकार से मांग की कि वह सरकारी स्कूलों के लिए एक ठोस और प्रभावी सुधार योजना बनाए।
निजी स्कूलों पर सरकारी दबाव
Ashok Gehlot ने यह भी कहा कि राज्य सरकार, निजी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के भारी दबाव में आकर यह कदम उठा रही है। उन्होंने तर्क दिया कि इन निजी स्कूलों में बच्चे अच्छे शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, क्योंकि इन स्कूलों में शुल्क या तो बहुत कम था, या फिर बिल्कुल निशुल्क था। यह सरकारी स्कूलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। गहलोत के अनुसार, इन स्कूलों के संचालन की स्थिति में कोई सुधार होने के बजाय, सरकार ने इनकी समीक्षा करने का निर्णय लिया, जिससे यह लगता है कि सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर कदम उठा रही है।
Ashok Gehlot का आक्रामक आरोप और सवाल
Ashok Gehlot ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सरकारी स्कूलों को जानबूझकर कमजोर कर रही है ताकि निजी स्कूलों की स्थिति और भी मजबूत हो सके। उनका कहना था कि सरकार के इस कदम से गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को शिक्षा के अवसरों से वंचित किया जा रहा है, जो लंबे समय में समाज में असमानता को बढ़ावा देगा।
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