युवा ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने में अपनी भागीदारी निभायें: Bagde

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राजस्थान के राज्यपाल Haribhau Bagde का युवा शक्ति से ‘विकसित भारत’ की ओर आह्वान

राजस्थान के राज्यपाल श्री Haribhau Bagde ने महाराष्ट्र के लातूर में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 59वें देवगिरी राज्य सम्मेलन में युवा शक्ति से ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया। उन्होंने युवा पीढ़ी को राष्ट्र की समृद्धि और विकास में अहम भूमिका निभाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर Haribhau Bagde ने भारतीय युवाओं के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र के विकास में योगदान देने की जिम्मेदारी अब युवा पीढ़ी की है।

‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को प्रोत्साहन

राज्यपाल श्री Haribhau Bagde ने अपने संबोधन में भारतीय विद्यार्थियों और युवा संगठनों से ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि युवा अपने हर प्रयास में देश के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। उनका मानना है कि युवा देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं और अगर वे अपने कार्यों में राष्ट्रहित को प्राथमिकता देंगे, तो भारतीय समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दिशा बदल सकती है।

श्री Haribhau Bagde ने युवाओं से अपेक्षाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें न केवल शहरी जीवन में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी समान रूप से योगदान देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एबीवीपी जैसे संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे हर युवा को यह समझाने की कोशिश करें कि विकास में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।

जीडीपी में युवाओं का योगदान

राज्यपाल ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में युवाओं के योगदान की महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारत के कुल जीडीपी में लगभग 34 प्रतिशत योगदान युवा वर्ग का है। यह आंकड़ा इस बात को प्रमाणित करता है कि युवा समाज में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका मानना था कि जब तक हम युवाओं को अपने राष्ट्र की दिशा में सकारात्मक रूप से सक्रिय नहीं करेंगे, तब तक हम ‘विकसित भारत’ की दिशा में नहीं बढ़ सकते।

उन्होंने यह भी कहा कि यह युवा पीढ़ी है जो राष्ट्र की सोच और कार्यशैली को आकार दे सकती है। इस दृष्टिकोण से अगर युवाओं का सही मार्गदर्शन किया जाए, तो वे न केवल अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं, बल्कि देश को भी समृद्धि की ओर ले जा सकते हैं।

‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत का पालन

राज्यपाल श्री बागडे ने सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास’ के सिद्धांत की सराहना की। उनका मानना था कि यदि यह सिद्धांत पूरे देश में साकार हो जाता है, तो भारत एक बार फिर से विश्व गुरु के रूप में स्थापित हो सकता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे इस दिशा में अपने विचारों और ऊर्जा का समर्पण करें।

भारत के पुनर्निर्माण में हर युवा का योगदान महत्त्वपूर्ण है, और यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य समझते हुए काम करता है, तो आने वाले समय में भारत दुनिया के सबसे समृद्ध राष्ट्रों में से एक बन सकता है।

शिक्षा पद्धति में बदलाव की आवश्यकता

श्री Haribhau Bagde ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान शिक्षा पद्धति को ऐसे रूप में बदला गया था कि वह भारतीय संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान को कमजोर कर दे। उन्होंने मैकाले द्वारा लागू की गई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति भारतीयों को अपनी जड़ों से दूर करने के उद्देश्य से बनाई गई थी।

Bagde कहा कि 15 अगस्त, 1947 को देश की स्वतंत्रता के साथ जो झंडा बदला, वैसे ही हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव लाने की जरूरत थी, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। परिणामस्वरूप, भारतीय समाज अब भी उन नीतियों के प्रभाव को झेल रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का महत्व

श्री Haribhau Bagde ने 2020 में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह नीति भारतीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए तैयार की गई है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। यह नीति स्वरोजगार को बढ़ावा देने में मदद करेगी और देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगी।

Bagde कहा कि इस नीति के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नई दिशा मिलेगी, जिससे युवा समाज को अपने आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर सकेंगे। वे उम्मीद जताते हैं कि इसके परिणामस्वरूप युवा अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे और देश को न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी एक नई दिशा मिल सकेगी।

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