Bahraich में तेंदुए के हमले से 8 साल की बच्ची घायल, वन विभाग से पिंजरा लगाने की मांग
उत्तर प्रदेश के Bahraich जिले में सोमवार को कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के सुजौली रेंज में एक 8 साल की बालिका पर तेंदुए ने हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। यह घटना बनकटी गांव में हुई, जब बालिका सुंदरी (8) शौच के लिए घर से बाहर गई थी। हादसे के बाद से गांव में डर और चिंता का माहौल बन गया है, खासकर यह सोचकर कि इस परिवार के तीन सदस्य पहले भी तेंदुए के हमले का शिकार हो चुके हैं। गांववालों ने वन विभाग से तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की है ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
घटना का विवरण
Bahraich: पुलिस सूत्रों के अनुसार, बनकटी गांव निवासी किस नंदन की पुत्री सुंदरी सुबह शौच के लिए घर से बाहर गई थी। इसी दौरान, जंगल से निकला एक तेंदुआ अचानक उस पर हमला कर बैठा। सुंदरी की चीखें सुनकर उसके परिजनों और ग्रामीणों ने हल्ला मचाया और किसी तरह तेंदुए को वहां से भगा दिया। इसके बाद तत्काल उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) सुजौली में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे एम्बुलेंस के जरिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) मोतीपुर रेफर कर दिया।
रेंज अधिकारी का बयान
Bahraich: घटना की सूचना मिलने के बाद रेंज अधिकारी रोहित कुमार घटनास्थल पर पहुंचे और घायल बच्ची के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं की जाएगी और पीड़िता को हर संभव मदद दी जाएगी। रेंज अधिकारी ने यह भी बताया कि वन विभाग द्वारा तेंदुए के हमले की घटना पर ध्यान दिया जा रहा है और संबंधित अधिकारियों से इस मामले में उचित कार्रवाई करने को कहा गया है।
पिछले हमले और गांववालों की चिंताएं
Bahraich: परिजनों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब तेंदुए ने इस परिवार के किसी सदस्य पर हमला किया है। इससे पहले भी तेंदुए ने तीन लोगों को हमले का शिकार बनाया था, जिससे गांववाले काफी चिंतित हैं। इस परिवार के सदस्य तेंदुए के हमले से बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं और अब वे अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क हैं।
गांववाले अब इस घटना को लेकर बहुत चिंतित हैं और उन्होंने वन विभाग से तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए जरूरी है कि तेंदुए को सुरक्षित रूप से जंगल में वापस भेजा जाए या फिर उसे पकड़ने के लिए कदम उठाए जाएं।
वन्यजीव सुरक्षा और मानव-जंगली जीव संघर्ष
Bahraich जिले में इस प्रकार की घटनाएं दुर्लभ नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के जंगलों में वन्यजीवों और मानवों के बीच संघर्ष एक सामान्य समस्या बन चुकी है। अक्सर जंगली जानवर गांवों में घुस आते हैं, जिससे गांववालों को खतरा होता है। इस प्रकार के हमले स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को चुनौती देते हैं, जबकि वन्यजीवों के लिए भी यह अनुकूल नहीं है।
Bahraich: विशेषज्ञों का कहना है कि मानव और जंगली जीवों के बीच संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग को अधिक सख्त उपायों की आवश्यकता है। इस संघर्ष को कम करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल उपायों की जरूरत है, जैसे कि जंगली जानवरों के लिए संरक्षित इलाके बनाए जाना और मानव बस्तियों से दूर जंगलों में उनके निवास स्थान को सुरक्षित रखना।
वन विभाग की जिम्मेदारी
Bahraich: वन विभाग पर यह जिम्मेदारी है कि वह इस तरह के हादसों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए। ग्रामीण क्षेत्रों में मानव और जानवरों के बीच टकराव की घटनाएं तब बढ़ जाती हैं जब जंगलों का क्षेत्र सिकुड़ने लगता है और जंगली जानवरों के लिए भोजन और पानी की कमी होती है। इसी प्रकार की परिस्थितियां जानवरों को बस्तियों की ओर खींच लाती हैं, जिससे हमले की घटनाएं होती हैं।
Bahraich: तेंदुए जैसे बड़े जंगली जानवरों के लिए वन विभाग को पिंजरा लगाने, ट्रैपिंग और पुनर्वास जैसी योजनाओं को लागू करना चाहिए ताकि इन जंगली जानवरों को बिना किसी नुकसान के जंगलों में वापस भेजा जा सके।
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