Borewell में बच्चे गिरने के मामले में महिला नेता ने किया अनशन शुरू

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कोटपूतली Borewell हादसा: महिला नेता लीली यादव का 24 घंटे का अनशन, बोरवेल सुरक्षा की मांग

राजस्थान के कोटपूतली में तीन साल की बालिका चेतना के Borewell में गिरने के दर्दनाक हादसे के बाद कांग्रेस की महिला नेता लीली यादव ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। इस घटना के विरोध में श्रीमती यादव ने मंगलवार को अलवर के मिनी सचिवालय में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने 24 घंटे के अनशन का आह्वान किया। उन्होंने यह आंदोलन केवल एक दिन के लिए नहीं, बल्कि यह कड़ा संदेश देने के लिए किया था कि बोरवेल में बच्चों के गिरने के लगातार बढ़ते मामले गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं।

Borewell सुरक्षा पर जोर
श्रीमती यादव ने बताया कि यह हादसा कोटपूतली में हुआ, जहां तीन साल की चेतना Borewell में गिर गई और अब नौ दिन हो चुके हैं, लेकिन बच्ची को बाहर निकालने की प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हो पाई है। महिला नेता का कहना था कि राजस्थान में ऐसे हादसे लगातार हो रहे हैं और Borewell की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि बोरवेल के आसपास सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित किया जाए और सभी खुले Borewell का सर्वेक्षण किया जाए। उनके अनुसार, कई Borewell खुले पड़े होते हैं, जिससे यह हादसे हो रहे हैं।

सार्वजनिक Borewell का सर्वेक्षण और कार्रवाई की मांग
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग Borewell खुदवाते हैं, उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और Borewell को सही तरीके से बंद करने के बाद ही छोड़ना चाहिए। लीली यादव ने सरकार से यह भी मांग की कि उन सभी अधिकारियों और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जो Borewell की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेते। पटवारी और तहसीलदार को जिम्मेदार ठहराने की बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे खुले बोरवेल को तुरंत बंद कराया जाना चाहिए।

राजनीतिक स्थिति से ऊपर बच्चों की सुरक्षा
श्रीमती यादव ने कहा कि यह मामला राजनीति से ऊपर है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह हादसा भाजपा सरकार के दौरान हुआ है, लेकिन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी ऐसे हादसे हो चुके हैं। उनका मानना था कि यह एक मानवीय मुद्दा है और इसके समाधान के लिए सभी राजनीतिक दलों को मिलकर काम करना चाहिए।

महिला नेता की व्यक्तिगत पीड़ा
एक महिला नेता के रूप में लीली यादव ने यह भी बताया कि एक महिला होने के नाते वह इस हादसे से पूरी तरह व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि जब भी वह टीवी पर इस तरह की खबरें देखती हैं, तो उनका दिल टूट जाता है और वह प्रार्थना करती हैं कि चेतना सुरक्षित बाहर निकाली जाए। उन्होंने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “हम खुद ही बोरवेल खुदवाते हैं और हमारे बच्चे खुद ही इसका शिकार हो जाते हैं। यह बहुत पीड़ादायक है।”

अनशन की रणनीति
श्रीमती यादव ने अपनी अनशन की शुरुआत मंगलवार सुबह नौ बजे की और यह अनशन बुधवार सुबह 9 बजे तक जारी रहेगा। उनका उद्देश्य राज्य सरकार और समाज को यह समझाना है कि बोरवेल सुरक्षा केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि यह हम सभी की जिम्मेदारी है।

सरकार से अपेक्षाएँ
महिला नेता ने राज्य सरकार से मांग की कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि बोरवेल मालिकों को सुरक्षा के नियमों का पालन करने के लिए कानून द्वारा बाध्य किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे दुखद घटनाएँ न घटित हों।

यह मामला अब राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है, क्योंकि यह न केवल बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, बल्कि समाज में बढ़ती जागरूकता और जिम्मेदारी की आवश्यकता को भी उजागर करता है।

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