PM Modi ने संस्कृत विद्वान डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात के निधन पर जताया शोक
PM Modi ने संस्कृत के महान विद्वान, डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात के निधन पर गहरी शोक व्यक्त की है। डॉ. फिलियोजात, जो कि फ्रांसीसी मूल के भारतीय संस्कृत विद्वान थे, का सोमवार को पेरिस में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें इस वर्ष भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर PM Modi ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (Twitter) पर शोक संदेश साझा करते हुए डॉ. फिलियोजात की संस्कृत भाषा और साहित्य के अध्ययन को लोकप्रिय बनाने के लिए उनके योगदान की सराहना की।
संस्कृत के प्रचारक और भारतीय संस्कृति के प्रेमी
डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात ने भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़े हुए थे और भारत में अपनी दीक्षा के बाद उन्होंने संस्कृत के अध्ययन को और भी व्यापक बनाया। उनका कार्य न केवल भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक विदेशी व्यक्ति भारतीय भाषा और संस्कृति को गहराई से समझ सकता है और उसका प्रचार कर सकता है।
पद्मश्री से सम्मानित संस्कृत विद्वान
इस वर्ष, डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात को भारत सरकार द्वारा उनकी संस्कृत अध्ययन और शोध में अद्वितीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने संस्कृत के साहित्य और व्याकरण पर गहन शोध किया और इसे पश्चिमी दुनिया में अधिक प्रचलित किया। उनका यह कार्य भारत के लिए गर्व की बात है और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
PM Modi का शोक संदेश
PM Modi ने डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात को संस्कृत अध्ययन, विशेषकर संस्कृत साहित्य और व्याकरण के अध्ययन को लोकप्रिय बनाने के उनके अनुकरणीय प्रयासों के लिये याद किया जायेगा। वह भारत और भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़े हुए थे। उनके निधन से मुझे दुख हुआ है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रियजनों के साथ हैं।”
संस्कृत के प्रति समर्पण और योगदान
डॉ. फिलियोजात का संस्कृत के प्रति समर्पण अद्वितीय था। उन्होंने न केवल भारतीय संस्कृत को समृद्ध किया, बल्कि इसे पश्चिमी दुनिया में भी महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया। उनका शोध कार्य, संस्कृत के शास्त्रों और ग्रंथों पर आधारित था, और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय संस्कृत के अध्ययन और उसे लोकप्रिय बनाने में समर्पित किया।
मैसूर में उनकी जीवन यात्रा
डॉ. फिलियोजात का संबंध भारत के मैसूर से था, जहां उन्होंने कई वर्षों तक संस्कृत का अध्ययन किया और वहां के शैक्षिक संस्थानों में कार्य किया। उनकी जीवन यात्रा ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया और भारतीय संस्कृति के अध्ययन में गहरी रुचि विकसित करने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
भारत-फ्रांस के सांस्कृतिक संबंधों में योगदान
डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात ने भारत और फ्रांस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया। उनका कार्य न केवल संस्कृत के अध्ययन में महत्वपूर्ण था, बल्कि उन्होंने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम भी किया। उनकी कोशिशों के कारण ही भारतीय संस्कृति और संस्कृत के महत्व को पश्चिमी दुनिया में समझा गया और सराहा गया।
डॉ. फिलियोजात के योगदान का महत्व
PM Modi: संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रति डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात का योगदान महत्वपूर्ण था। उन्होंने संस्कृत के साहित्य, शास्त्रों और व्याकरण पर अनेक पुस्तकें लिखी, जिनसे आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा मिली। उन्होंने संस्कृत के अध्ययन में अपनी जीवनभर की मेहनत और समय समर्पित किया।
निधन की खबर और शोक का माहौल
PM Modi: डॉ. पियरे सिल्वेन फिलियोजात का निधन भारतीय संस्कृति और संस्कृत के अध्ययन में एक बड़ी क्षति मानी जा रही है। उनके निधन से न केवल भारत बल्कि पूरे दुनिया में एक शोक की लहर है। PM Modi के शोक संदेश ने इस नुकसान को महसूस किया और उनके कार्यों को सम्मानित किया।
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