Deepika Padukone ने डिप्रेशन से जूझने की अपनी कहानी साझा की, बताया कैसे मिली राहत
बॉलीवुड एक्ट्रेस Deepika Padukone ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम के दूसरे एपिसोड में छात्रों के साथ अपनी जीवन की कुछ सच्चाई साझा की। इस कार्यक्रम में दीपिका ने अपनी डिप्रेशन से जूझने की व्यक्तिगत कहानी बताई और छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जागरूक किया। दीपिका ने बताया कि कैसे एक समय ऐसा आया था जब उन्होंने जीने की इच्छा खो दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को संभाला और डिप्रेशन से लड़ने का निर्णय लिया।
Deepika Padukone का डिप्रेशन से संघर्ष
Deepika Padukone ने अपने जीवन के उस कठिन दौर को याद करते हुए बताया कि 2014 में अचानक बेहोश होने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह डिप्रेशन से जूझ रही हैं। दीपिका ने कहा, “मैंने स्कूल में हमेशा सबसे पहले स्पोर्ट्स में हिस्सा लिया और फिर मॉडलिंग और एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा।
लेकिन मैं लगातार खुद को धकेलती रही और उस समय मुझे एहसास नहीं हुआ कि मैं मानसिक रूप से बहुत टूट चुकी हूं। जब 2014 में मैं अचानक बेहोश हो गई, तब मुझे समझ में आया कि मैं डिप्रेशन से जूझ रही हूं।”
दीपिका ने यह भी कहा कि डिप्रेशन का कोई स्पष्ट रूप नहीं होता। यह एक ऐसी बीमारी है, जो अंदर से खाती है, लेकिन बाहर से व्यक्ति बिल्कुल सामान्य नजर आता है। उन्होंने बताया कि उनके आसपास ऐसे बहुत से लोग थे, जो इस मानसिक स्थिति से गुजर रहे थे, लेकिन किसी को भी इसका एहसास नहीं हो पाता।
Deepika Padukone के डिप्रेशन के लक्षण और संघर्ष
दीपिका ने आगे बताया कि वह अकेले मुंबई में रहते हुए डिप्रेशन से चुपचाप संघर्ष करती रहीं। हालांकि, उनकी मां को जल्द ही एहसास हो गया कि दीपिका के साथ कुछ ठीक नहीं है। दीपिका ने कहा, “जब मेरी मां मुंबई आईं और बैंगलोर वापस जाने वाली थीं, उस दिन अचानक मैं टूट गई। मेरे परिवार ने मुझसे मेरे काम के बारे में कई सवाल पूछे, लेकिन मैं सिर्फ इतना कह पाई, ‘मुझे नहीं पता। मैं बस खुद को कमजोर और निराश महसूस करती हूं। मुझे जीना ही नहीं है।’ शुक्र है कि मेरी मां ने मेरे लक्षणों को पहचान लिया और मुझे मनोवैज्ञानिक से मिलने का सुझाव दिया।”
Deepika Padukone ने यह भी कहा कि हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर कलंकित किया जाता है, जिससे लोग इस पर खुलकर बात करने से कतराते हैं। लेकिन दीपिका ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “जैसे ही मैंने अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना शुरू किया, मुझे बहुत हल्का महसूस हुआ। मुझे लगा कि जब आप अपने विचारों को बाहर निकालते हैं तो बोझ हल्का हो जाता है।”
मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता और दीपिका का संदेश
Deepika Padukone ने इस मौके पर मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन, चिंता और तनाव किसी को भी हो सकते हैं, और इनसे निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इन समस्याओं के बारे में बात करें।
उन्होंने छात्रों से अपील की कि अगर वे कभी मानसिक तनाव या डिप्रेशन का सामना करें तो खुद को अकेला न समझें और किसी से बात करें। दीपिका के अनुसार, “चिंता, तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह अकेला नहीं है। यह हम सभी के जीवन का हिस्सा हो सकता है। अगर आप इसे लेकर खुलकर बात करें, तो आपको राहत महसूस होगी।”
Deepika Padukone की इस बात ने कई छात्रों को प्रेरित किया, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने अनुभव साझा किए और दीपिका के प्रयासों को सराहा। दीपिका का यह खुलासा यह भी दिखाता है कि वह न केवल अपने जीवन के अनुभवों से दूसरों को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
Deepika Padukone और मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में बदलाव
Deepika Padukone ने न केवल अपने व्यक्तिगत संघर्षों के बारे में खुलकर बात की, बल्कि उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाने की कोशिश भी की।
वह चाहती हैं कि लोग डिप्रेशन, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बिना डर के बात करें और मदद लें। Deepika Padukone की कोशिश से यह स्पष्ट होता है कि वह मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में एक बड़ा बदलाव लाना चाहती हैं, ताकि लोग इन मुद्दों को खुलकर स्वीकार करें और इसका इलाज करवा सकें।
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