JPC रिपोर्ट पर विपक्षी आरोप और वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का महत्व
आज संसद में पेश होने वाली संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पर राजनीतिक गलियारों में काफी हंगामा मचा हुआ है। रिपोर्ट, जो वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर आधारित है, विपक्ष द्वारा गंभीर आरोपों का सामना कर रही है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अगुवाई में JPCने विधेयक पर अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार की है, और इसे आज संसद में प्रस्तुत किया जाएगा। विपक्ष ने इस रिपोर्ट पर अपनी असहमति जताते हुए आरोप लगाए हैं कि समिति के अध्यक्ष ने जानबूझकर विपक्षी नेताओं की आवाज़ को दबाया है।
JPC रिपोर्ट और विधेयक की पृष्ठभूमि
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को लेकर लंबे समय से विवाद और असहमति रही है। वक्फ अधिनियम 1995 के तहत वक्फ संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड पर थी। हालांकि, इस कानून में कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, और अतिक्रमण जैसे मुद्दे आए दिन उठते रहे हैं। इसके कारण वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन और संरक्षण नहीं हो पाया।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य इस कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कानून में सुधार लाना है। विधेयक में डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, पारदर्शिता बढ़ाने और अवैध कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी तंत्र जैसे उपायों का प्रावधान है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।
JPC की रिपोर्ट पर विपक्ष के आरोप
JPC की रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत होने से पहले ही विपक्षी दलों ने इस पर अपनी असहमति जाहिर की है। प्रमुख विपक्षी नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि उनके असहमति नोट को जानबूझकर हटा दिया गया। ओवैसी ने दावा किया कि समिति द्वारा उन्हें दिए गए अवसरों के बावजूद, उनके असहमति नोट के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों को रिपोर्ट से हटा दिया गया। उनका यह आरोप है कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने जानबूझकर विपक्षी आवाज़ों को दबाया है और एकतरफा रिपोर्ट पेश की है, जो भाजपा के पक्ष में जाती है।
ओवैसी के इस आरोप से विपक्षी नेताओं में रोष है। उनका कहना है कि JPC की रिपोर्ट ने वक्फ विधेयक के मुद्दे पर विपक्ष के विचारों को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बजाय, विपक्षी नेताओं का आरोप है कि समिति ने केवल भाजपा के विचारों और संशोधनों को प्राथमिकता दी और विपक्ष के विचारों को नजरअंदाज किया।
जगदंबिका पाल की प्रतिक्रिया
भाजपा सांसद और JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि रिपोर्ट में सभी पक्षों को उचित समय और अवसर दिया गया था। उन्होंने बताया कि समिति के सामने कुल 44 खंड थे, जिनमें से 14 खंडों में सदस्यों द्वारा संशोधन प्रस्तावित किए गए थे। इन संशोधनों पर बहुमत से मतदान किया गया और उन्हें स्वीकार कर लिया गया। पाल ने यह भी स्पष्ट किया कि JPC ने 29 जनवरी को मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को स्वीकार कर लिया था।
वक्फ विधेयक 2024 के सुधार
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में कई महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख सुधार वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण का है। इस कदम से वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को ऑनलाइन रखा जाएगा, जिससे उनका प्रबंधन अधिक पारदर्शी और सुलभ होगा। इसके अलावा, विधेयक में वक्फ संपत्तियों के ऑडिट को और सख्त बनाने की बात की गई है, ताकि वित्तीय गड़बड़ियों को रोका जा सके।
विधेयक का एक और महत्वपूर्ण पहलू अवैध कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी उपायों की मजबूती है। वक्फ बोर्ड को यह अधिकार मिलेगा कि वे कब्जे में आई संपत्तियों को वापस लेने के लिए आवश्यक कदम उठा सकें। इससे वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे को समाप्त करने में मदद मिलेगी, जो पिछले वर्षों में एक बड़ी समस्या रही है।
विपक्ष का विरोध और सरकार की स्थिति
विपक्षी दलों का आरोप है कि वक्फ विधेयक 2024 में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ हो सकते हैं। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक धार्मिक संस्थाओं के प्रशासन में सरकार की अधिकतम दखलंदाजी का कारण बन सकता है। इसके अलावा, कुछ नेताओं ने इस विधेयक को वक्फ बोर्डों के कार्यों में सरकार के अत्यधिक हस्तक्षेप के रूप में देखा है, जिससे इन संस्थाओं की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।
इसके बावजूद, भाजपा का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुधारने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जरूरी है। सरकार का यह भी कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य सिर्फ वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और गलतफहमियों को दूर करना है, न कि किसी भी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करना।
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