Dollar की दादागिरी: रुपया 87 के पार, ऑल टाइम लो

Dollar

Dollar की दादागिरी: रुपया 87 के पार, ऑल टाइम लो पर

आज भारतीय रुपया अमेरिकी Dollar के मुकाबले 54 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ खुला और पहली बार 87 के पार पहुंचकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया। एनएसई के करेंसी डेरिवेटिव्स डेटा के मुताबिक, रुपया आज 86.87 रुपये पर खुला और कुछ ही देर में 87.48 के ऑल टाइम लो पर पहुंच गया। इस गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख रूप से अमेरिकी Dollar की मजबूती और वैश्विक वित्तीय परिस्थितियाँ शामिल हैं।

Dollar की ताकत और वैश्विक परिस्थितियाँ

अमेरिकी Dollar के मुकाबले रुपये की यह गिरावट वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के चलते आई है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापारिक नीतियों के कारण। उन्होंने अपने देश के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर उच्च टैरिफ लगाए थे, जिससे अमेरिकी Dollar में उछाल आया। ट्रंप द्वारा मैक्सिकन और अधिकांश कनाडाई आयातों पर 25% टैरिफ और चीन से माल पर 10% टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी Dollar के मुकाबले एशियाई करेंसी में गिरावट देखने को मिली है। इस वजह से भारतीय रुपया भी दबाव में आ गया और सोमवार को 87 के आंकड़े को पार कर गया।

रुपये की गिरावट और इसका असर

विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले 6 से 10 महीनों में Dollar के मुकाबले रुपया 90 से 92 तक गिर सकता है। यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी के लिए चिंताजनक हो सकती है। रुपये की गिरावट का सीधा असर आयातित वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा। भारत विभिन्न उत्पादों का आयात करता है, जिनमें खाद्य तेल, दलहन, कच्चा तेल, कंप्यूटर, लैपटॉप, दवाइयाँ, और रसायन शामिल हैं। इन सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे घरेलू बजट पर असर पड़ेगा।

आयात पर पड़ने वाला प्रभाव

भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है, और रुपये के कमजोर होने से इन वस्तुओं की कीमतें और बढ़ सकती हैं। खाद्य तेल, दलहन, कच्चा तेल, और अन्य आयातित सामानों की महंगाई बढ़ने से आम आदमी की रसोई का बजट प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, भारत को विदेश से आयात किए गए अन्य महत्वपूर्ण सामानों की कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है, जिनमें कम्प्युटर, लैपटॉप, और दवाइयाँ शामिल हैं। इससे विदेशी सामानों की कीमतें महंगी हो जाएंगी, जो विशेष रूप से छात्रों और विदेश यात्रा करने वालों के लिए आर्थिक चुनौती पेश कर सकती हैं।

विदेश में पढ़ाई और यात्रा पर असर

Dollar के मुकाबले रुपया कमजोर होने से विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों को अधिक पैसे चुकाने पड़ सकते हैं। उच्च ट्यूशन फीस और जीवन यापन की महंगाई के कारण छात्रों के लिए विदेशी शिक्षा का खर्च बढ़ जाएगा। इसके साथ ही विदेश यात्रा करने वालों को भी अधिक खर्च करना पड़ेगा। होटल में ठहरने और खाने-पीने के खर्चे में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इस वजह से विदेश यात्रा महंगी हो सकती है, और भारतीयों के लिए यह एक बड़ा वित्तीय दबाव बन सकता है।

रुपये की गिरावट से प्रभावित भारतीय उद्योग

भारतीय उद्योग और व्यापार में भी Dollar के मुकाबले रुपये की कमजोरी का असर देखने को मिल सकता है। कई कंपनियाँ, जो आयातित कच्चे माल पर निर्भर हैं, उनकी उत्पादन लागत बढ़ सकती है। इससे वस्तुओं के निर्माण में महंगाई आ सकती है और अंततः उपभोक्ताओं को भी इन वस्तुओं के अधिक मूल्य चुकाने पड़ सकते हैं।

क्या करें विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। रुपये को स्थिर करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग और अन्य नीतिगत उपाय किए जा सकते हैं। साथ ही, भारत को अपने घरेलू उत्पादन और आयात को विविधता देने पर भी ध्यान देना होगा, ताकि वैश्विक आर्थिक दबावों का असर कम से कम हो सके।

Read More: कांग्रेस नेता Shakeel Ahmed Khan के बेटे ने पटना में की आत्महत्या

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *