Israeli सेना के खिलाफ प्रदर्शन: 14 की मौत, लेबनान में बढ़ता तनाव
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष के बीच 26 जनवरी तक Israeli सेना का लेबनान से वापस जाने का समय तय किया गया था, लेकिन अब तक Israeli सेना वहां से नहीं निकली है। इस मुद्दे को लेकर लेबनान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान हालात और भी तनावपूर्ण हो गए, जब Israeli सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। यह घटना दक्षिणी लेबनान में हुई, जहां प्रदर्शनकारी Israeli सेना की वापसी की मांग कर रहे थे।
इजरायल की वापसी की मांग पर प्रदर्शन
दक्षिणी लेबनान में, जहां इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव और संघर्ष जारी है, प्रदर्शनकारियों ने Israeli सेना की जल्द वापसी की मांग की। इसके लिए लोग सड़कों पर उतरे और इजराइली सेना के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इजरायल ने जो संघर्ष विराम समझौता किया था, उसके तहत उसे 26 जनवरी तक लेबनान से अपनी सेना को हटा लेना चाहिए था।
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि प्रदर्शनकारियों पर Israeli सेना ने गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप 14 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों में दो महिलाएं और लेबनानी सेना का एक जवान भी शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया कि ये प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह था, जो Israeli सेना की वापसी की मांग कर रहा था, और गोलीबारी की घटना दक्षिणी लेबनान के 12 से अधिक गांवों में हुई।
Israeli सेना की वापसी पर विवाद
लेबनान में प्रदर्शनकारियों के Israeli सेना की वापसी की मांग के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि इजरायल ने निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने सैनिकों को लेबनान से वापस नहीं लिया। इस मुद्दे पर इजरायल का कहना है कि हिजबुल्लाह के दक्षिणी लेबनान में फिर से सक्रिय होने की संभावना को रोकने के लिए और वहां की स्थिति को स्थिर रखने के लिए, इजरायल को और अधिक समय तक अपनी सेना वहां तैनात रखने की आवश्यकता है।
इजरायल के अधिकारियों ने यह भी कहा कि लेबनानी सेना ने दक्षिणी लेबनान के सभी क्षेत्रों में अपनी तैनाती पूरी नहीं की है, जिससे Israeli सेना को अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए और अधिक समय वहां रहने की आवश्यकता है। हालांकि, लेबनान की सेना ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक Israeli सेना वापस नहीं जाती, तब तक वह अपनी सेना को इस क्षेत्र में तैनात नहीं कर सकती।
Israeli सेना और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच पिछले कुछ वर्षों से संघर्ष जारी है। हिजबुल्लाह, जो लेबनान में एक प्रमुख शिया मिलिशिया समूह है, दक्षिणी लेबनान के कई इलाकों में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। इजरायल ने कई बार यह आरोप लगाया है कि हिजबुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान को अपने सैन्य गतिविधियों के लिए एक ठिकाना बना लिया है, जिससे इस क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और भी जटिल हो गई है।
इजरायल का कहना है कि हिजबुल्लाह के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उसकी सेना का यहां होना आवश्यक है। वहीं, लेबनान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कहना है कि इजरायल ने अपनी तैनाती को बढ़ा लिया है और उसे निर्धारित समय सीमा के भीतर क्षेत्र से हटाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा
लेबनान के नागरिकों के लिए यह मुद्दा केवल सैन्य स्थिति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके राष्ट्रीय सम्मान और स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। लेबनानी नागरिकों का मानना है कि Israeli सेना का दक्षिणी लेबनान में बने रहना, उनके देश की संप्रभुता का उल्लंघन है। इन प्रदर्शनों के दौरान कई लोग हिजबुल्लाह के झंडे लेकर सड़कों पर उतरे थे, जो इजरायल के खिलाफ उनके गुस्से को दर्शाते थे।
प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना था कि इजरायल द्वारा इस तरह के संघर्ष विराम उल्लंघन से केवल युद्ध का माहौल बढ़ेगा, और आम नागरिकों का जीवन और भी कठिन हो जाएगा। इन प्रदर्शनों के दौरान हुई गोलीबारी ने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया, और यह सवाल खड़ा किया कि क्या दक्षिणी लेबनान में शांति स्थापित करने के लिए किसी दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है।
इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायल की ओर से प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सुरक्षा बलों का कहना है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा के लिए की गई थी। उनका दावा है कि प्रदर्शनकारियों ने Israeli सेना के खिलाफ हिंसक तरीके से हमला किया था, जिसके कारण उन्हें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। हालांकि, इस गोलीबारी की घटना ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी चिंतित कर दिया है और यह सवाल उठाया है कि क्या इस तरह की हिंसा से तनाव और बढ़ेगा या फिर शांति की ओर कोई कदम बढ़ाया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस गोलीबारी के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इजरायल और लेबनान दोनों के प्रति प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे वैश्विक संस्थाओं ने शांति की प्रक्रिया को बहाल करने और क्षेत्र में हिंसा को रोकने का आह्वान किया है। हालांकि, इस स्थिति को सुधारने के लिए दोनों देशों के बीच सशक्त संवाद की आवश्यकता है, जो वर्तमान में मुश्किल नजर आ रहा है।
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