महाकुंभ पर PM Modi के बयान के बाद विपक्ष का हंगामा, स्पीकर ओम बिरला ने नियम 372 समझाया
PM Modi ने मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ पर बयान देते हुए इसे केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि जनता के संकल्प और श्रद्धा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ, जैसा की गंगा को धरती पर लाने के लिए भगीरथ प्रयासों की आवश्यकता पड़ी थी, वैसे ही महाकुंभ भी सभी की सामूहिक मेहनत और प्रयासों का परिणाम है। इस बयान के बाद, जैसे ही PM Modi ने अपने संबोधन को समाप्त किया, विपक्षी सांसदों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल पूछने का अवसर उन्हें नहीं दिया गया, जबकि वे महाकुंभ पर PM Modi के विचारों पर अपनी चिंताएँ और सवाल उठाना चाहते थे।
विपक्ष का हंगामा और सवालों की मांग
PM Modi का यह बयान लोकसभा में विपक्षी सांसदों को रास नहीं आया। विपक्षी नेताओं ने महाकुंभ पर PM Modi द्वारा दिए गए बयानों पर सवाल उठाने की मांग की। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री के बयान में कुछ ऐसे पहलू थे, जिन पर चर्चा होनी चाहिए थी, और उनका दावा था कि यह बयान केवल एकतरफा था, जिसमें केवल महाकुंभ के आयोजन के महत्व की बात की गई थी, लेकिन इससे जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण समस्याओं और मुद्दों पर कोई स्पष्टता नहीं दी गई थी।
विपक्षी सांसदों का विरोध उग्र हो गया, और सदन में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सदन में इस मुद्दे को लेकर अपनी असहमति जताने लगे। हालांकि, इस विरोध के बावजूद, PM Modi शांतिपूर्वक अपने बयान पर खड़े रहे और विपक्षी सांसदों को उनकी जगह पर बैठने के लिए अनुरोध किया।
स्पीकर ओम बिरला का निर्णय
सदन में बढ़ते हंगामे और विपक्ष की सवालों की मांग के बीच, स्पीकर ओम बिरला ने नियमों को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और मंत्री जब स्वेच्छा से कोई बयान देते हैं, तो उस पर कोई सवाल नहीं पूछा जा सकता। उन्होंने नियम 372 का हवाला देते हुए बताया कि यह स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है कि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री अपने विचार और बयान सदन में पेश कर सकते हैं, लेकिन इन बयानों के बाद, किसी प्रकार के सवाल नहीं किए जा सकते।
स्पीकर बिरला ने सदन के सभी सदस्यों को समझाया कि उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए और बगैर किसी व्यवधान के सदन की कार्यवाही को जारी रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी सदस्य को किसी विशेष विषय पर बात करनी है, तो वे उस विषय पर अलग से चर्चा के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान वक्त में, PM Modi द्वारा दिया गया बयान केवल सूचना के तौर पर था और उस पर सवाल पूछने का कोई अधिकार नहीं था।
नियम 372 का महत्व और संसदीय कार्यवाही पर प्रभाव
स्पीकर ओम बिरला का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि भारतीय संसद में एक स्पष्ट प्रक्रिया है, जिसके तहत प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री अपने बयानों में जो कुछ भी कहते हैं, उसके बाद उस पर सवाल नहीं पूछे जा सकते। यह नियम 372 संसद की कार्यवाही में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए लागू किया गया है। इस नियम के तहत, किसी भी विषय पर प्रधानमंत्री या मंत्री के बयान के बाद, अन्य सांसदों को केवल अपनी राय व्यक्त करने का अवसर मिलता है, लेकिन उस पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं होती।
यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चले और बिना किसी अवरोध के सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका मिले। स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों को इस नियम को समझने की आवश्यकता जताई और सदन में शांति बनाए रखने का आह्वान किया।
विपक्ष का दृष्टिकोण और भविष्य की संभावना
विपक्षी सांसदों का यह हंगामा इस बात को दर्शाता है कि महाकुंभ और PM Modi के बयान पर कोई ठोस चर्चा नहीं होने की स्थिति में, वे अन्य मुद्दों पर संसद में चर्चा की उम्मीद कर रहे थे। विपक्ष ने महसूस किया कि महाकुंभ के आयोजन को लेकर प्रधानमंत्री के बयान में कुछ मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है, जिन पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए थी। हालांकि, स्पीकर ओम बिरला द्वारा नियम 372 के तहत निर्णय लेने के बाद, विपक्षी सांसदों को यह समझने का प्रयास किया गया कि इस विशेष स्थिति में सवाल उठाना संसदीय नियमों के खिलाफ है।
अब यह देखना होगा कि क्या विपक्ष इस मुद्दे पर आगे कोई विशेष प्रस्ताव लाता है या वे भविष्य में महाकुंभ जैसे आयोजनों पर अपनी चिंताओं को और अधिक प्रभावी तरीके से उठाने का प्रयास करेंगे। इस मामले ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय संसद में प्रत्येक मुद्दे पर नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सही ढंग से चलाया जा सके।
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