Jammu-Kashmir में बर्फबारी के बाद कड़ाके की ठंड, चिलेकलां के लिए तैयारियां शुरू
Jammu-Kashmir में बर्फबारी के बाद अब हाड़ कंपाने वाली ठंड ने अपनी चपेट में ले लिया है। राज्य के विभिन्न पर्यटन स्थलों जैसे सोनमर्ग, गुलमर्ग, और पहलगाम में रात का तापमान माइनस नौ डिग्री के आसपास पहुंच चुका है। वहीं, Jammu-Kashmir का पारा भी तेजी से शून्य की ओर बढ़ रहा है। इस कड़ाके की सर्दी के कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, और मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों में और गिरावट की चेतावनी जारी की है। इसके साथ ही, 21 दिसंबर से शुरू होने वाला चिलेकलां, जो Jammu-Kashmir में सबसे कड़ी सर्दी का समय होता है, इसके लिए भी लोग पहले से तैयारियां करने लगे हैं।
Jammu-Kashmir में तापमान में गिरावट
जम्मू में इस मौसम की सबसे ठंडी रात शुक्रवार को रही, जब न्यूनतम तापमान 3.6 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं, श्रीनगर में तापमान माइनस 4.6 डिग्री तक पहुंच चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में जम्मू और श्रीनगर में तापमान में और गिरावट आ सकती है। इस समय, राज्य के अधिकांश हिस्सों में सर्दी की तीव्रता बढ़ने लगी है, और लोगों को सर्दी से बचाव के लिए उचित उपायों की आवश्यकता महसूस हो रही है।
पर्यटन स्थलों में शीतलहर
सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल, जो सर्दियों में बर्फबारी और स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध हैं, अब हाड़ कंपाने वाली ठंड का सामना कर रहे हैं। इन स्थानों में रात का तापमान माइनस नौ डिग्री तक पहुंच गया है, जिससे पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोग भी अत्यधिक ठंड का सामना कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण सड़कें भी फिसलन भरी हो जाती हैं, और ठंड से बचाव के लिए खास इंतजाम करने पड़ते हैं।
चिलेकलां का आगमन और उसकी सर्दी
चिलेकलां, जो 21 दिसंबर से शुरू हो रहा है, Jammu-Kashmir में सर्दियों का सबसे कठोर समय माना जाता है। यह वह समय होता है जब बर्फबारी अपने चरम पर होती है और तापमान जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है। चिलेकलां के दौरान, पूरे Jammu-Kashmir क्षेत्र में अत्यधिक सर्दी पड़ती है और स्थानीय निवासियों के लिए यह कठिन समय होता है। इस दौरान जमाव बिंदु से नीचे तापमान बनाए रहने के कारण जमीन, हवा और पानी तक जम जाते हैं। बर्फबारी के साथ-साथ हवा की तीव्रता भी बढ़ जाती है, जिससे सर्दी और भी कठिन हो जाती है।
चिलेकलां के दौरान होने वाली बर्फबारी और उसके प्रभाव
चिलेकलां के समय Jammu-Kashmir में सबसे अधिक बर्फबारी होती है। यह मौसम सर्दी और बर्फबारी के लिए प्रसिद्ध होता है, और इस दौरान कश्मीर घाटी में अधिकांश जल स्रोत और नदियां जम जाती हैं। तापमान लगातार नकारात्मक में रहता है, जिससे पानी, भूमि, और अन्य प्राकृतिक संसाधन बर्फ में बदल जाते हैं। बर्फबारी की वजह से, स्थानीय जीवन भी प्रभावित होता है, और यह मुश्किलें बढ़ाती हैं।
स्थानीय निवासियों के लिए तैयारियां
चिलेकलां के आगमन से पहले, Jammu-Kashmir के लोग अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। इस समय, लोग गर्म कपड़े, हीटर, और अन्य सर्दी से बचाव के उपकरणों की खरीदारी करने में व्यस्त रहते हैं। घरों को गर्म रखने के लिए लकड़ी और कोयले का भी प्रबंध किया जाता है। सर्दी के दौरान स्थानीय बाजारों में हीटर, गर्म कंबल, और ऊनी कपड़ों की भारी बिक्री होती है। लोग अपनी कृषि, पशुपालन और अन्य कार्यों के लिए भी विशेष इंतजाम करते हैं, ताकि सर्दी के बावजूद उनका काम चलता रहे।
सर्दी से बचाव के उपाय
Jammu-Kashmir में सर्दियों के मौसम में सर्दी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जाते हैं। स्थानीय लोग अपने घरों में हीटर का उपयोग करते हैं, और ‘कंगरी’ (एक प्रकार की गर्मी देने वाली सामग्री) का इस्तेमाल भी करते हैं। कंगरी एक पारंपरिक कश्मीरी उपकरण है, जिसे गर्म कोयले से भरा जाता है और इसे लोग अपनी बाहरी पोशाक के नीचे रखते हैं ताकि शरीर गर्म रहे। साथ ही, ऊनी कपड़े पहनने और गर्म खाने-पीने की चीजों का सेवन करना भी सर्दी से बचाव के उपायों में शामिल है।
मौसम विभाग की चेतावनी और आगे की स्थितियां
मौसम विभाग ने आगामी पांच दिनों में Jammu-Kashmir में तापमान में और गिरावट की चेतावनी दी है। इसके साथ ही, बर्फबारी के और बढ़ने की संभावना जताई गई है। इस कारण से, लोग यात्रा के दौरान विशेष सतर्कता बरत रहे हैं। सड़कें फिसलन भरी हो सकती हैं, और यातायात प्रभावित हो सकता है। मौसम विभाग की चेतावनियों के बाद, प्रशासन ने बर्फबारी से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा इंतजामों को बढ़ा दिया है।