मेड़ता रोड, नागौर।
कभी BRITISH हुकूमत और राजघरानों की शान कहलाने वाला MEDTA रोड का ऐतिहासिक हवाई जहाज मैदान आज अपने वजूद की आखिरी लड़ाई लड़ रहा है। एक ऐसा मैदान, जहां कभी आकाश से जहाज उतरा करते थे, अब खामोशी की चादर ओढ़े पड़ा है।
जहां कभी जहाज उतरते थे, वहां अब अतिक्रमण खड़ा है
राजस्थान के नागौर जिले में स्थित मेड़ता रोड का यह हवाई पट्टी 129 बीघा क्षेत्र में फैली हुई है। यह मैदान न केवल एक समय में नेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी और विश्व वैमानिक चार्ट (Aeronautical Chart) का हिस्सा था, बल्कि मेड़ता की पहचान भी था।
लेकिन अफसोस, आज यह सरकारी रिकॉर्ड में ‘गैर मुमकिन मैदान’ के तौर पर दर्ज हो चुका है। शुद्धि पत्र, NOC और भू-रूपांतरण के खेल ने इसे कागजों पर ही मार डाला है।
भूमि माफिया, सिस्टम की बेरुखी और मिटती पहचान
बीते वर्षों में इस ऐतिहासिक जमीन पर अवैध कॉलोनियों का कब्जा बढ़ता गया।
स्थानीय नागरिकों और पत्रकारों ने समय-समय पर विरोध दर्ज कराया, लेकिन प्रशासनिक चुप्पी ने हालात और भी गंभीर बना दिए। इतिहासकारों और स्थानीय बुजुर्गों की मानें तो यहां कभी राजा-महाराजाओं के जहाज उतरा करते थे। अंग्रेज अफसर इस जगह को अपने विशेष दौरे के लिए इस्तेमाल करते थे।
अब इतिहास खुद गुहार लगा रहा है, 1989 की सूची में आज भी दर्ज है नाम
“मैं हूं मेड़ता रोड का हवाई जहाज मैदान — अब आपके आगे खुद को बचाने की आखिरी गुहार लगा रहा हूं…” ये महज एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है। अगर यह मैदान यूं ही मिटता रहा, तो मेड़ता सिर्फ अपना एक भू-भाग ही नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिक अस्मिता भी खो देगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि 24 मार्च 1989 को यह मैदान नेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी की सूची में दर्ज किया गया था। आज भी कई वैश्विक रिकॉर्ड में इसका जिक्र मौजूद है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
अब वक्त है जागने का…
समाज, प्रशासन, इतिहास प्रेमियों और हर ज़िम्मेदार नागरिक को मिलकर इस ऐतिहासिक मैदान को बचाने के लिए आवाज़ उठानी होगी। क्योंकि अगर धरोहरें नहीं बचीं, तो इतिहास भी नहीं बचेगा। अपनी विरासत को मिटने न दें। मेड़ता रोड के हवाई जहाज मैदान को बचाने के लिए एकजुट होइए, आवाज़ उठाइए, और इतिहास को ज़िंदा रखिए।”
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