मोदी का घाना संसद में भाषण: Global Governance और Developing Nations की साझेदारी पर बल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घाना की संसद को संबोधित करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी Global Governance प्रणाली में अब विश्वसनीय और प्रभावी सुधारों की आवश्यकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विकासशील देशों (Developing Nations) को साथ लिए बिना कोई भी वैश्विक प्रगति संभव नहीं है।

🌍 बदलती वैश्विक व्यवस्था और लोकतंत्र की भावना

मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी में क्रांति, ग्लोबल साउथ का उदय और जनसांख्यिकीय परिवर्तन वर्तमान वैश्विक बदलावों को गति दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और घाना की साझेदारी स्वतंत्रता के संघर्ष, लोकतंत्र, और समावेशी विकास की साझा प्रतिबद्धताओं पर आधारित है।

उन्होंने घाना की संसद को बताया,

“दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं भारत की 140 करोड़ जनता की शुभकामनाएँ लाया हूँ। हमारे लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का मूल तत्व है।”

🇮🇳 भारत की वैश्विक भूमिका और विकास की दिशा

प्रधानमंत्री ने भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, नवाचार, और प्रौद्योगिकी नेतृत्व की चर्चा करते हुए कहा कि एक मजबूत भारत, वैश्विक स्थिरता और समृद्धि में योगदान देगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प के साथ चल रहा है और इस यात्रा में वह घाना के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा रहेगा।

🤝 घाना–भारत संबंध: Shared Values and Strategic Friendship

मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा और वहां की जनता का उनके सम्मान ‘Officer of the Order of the Star of Ghana’ के लिए आभार जताया। उन्होंने इसे स्थायी मित्रता का प्रतीक बताया। अपने भाषण में उन्होंने महान नेता डॉ. क्वामे नक्रूमा को भी उद्धृत किया:

“जो ताकतें हमें एकजुट करती हैं, वे उन प्रभावों से बड़ी हैं जो हमें अलग करती हैं।”

🌐 वैश्विक चुनौतियाँ और भारत की पहल

प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी, और साइबर खतरे जैसी समस्याएं वैश्विक चिंता का विषय हैं और इनसे निपटने में ग्लोबल साउथ की भागीदारी ज़रूरी है। उन्होंने G20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाए जाने को भारत की अध्यक्षता की बड़ी उपलब्धि बताया।

🏛️ संसदों के बीच सहयोग और लोकतांत्रिक साझेदारी

प्रधानमंत्री ने घाना की संसदीय परंपराओं की सराहना की और India-Ghana Parliamentary Friendship Society की स्थापना का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संवाद, बहस, मानवाधिकार और सम्मान को मज़बूत करता है — और यही दोनों देशों की आत्मा है।

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