रविवार की सुबह दुनिया तब दहल उठी, जब अमेरिकी वायुसेना के घातक B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स और टामहॉक मिसाइलों ने ईरान की सबसे सुरक्षित और गुप्त परमाणु साइट्स—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर भीषण हमला बोला।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस ‘ऐतिहासिक ऑपरेशन’ की पुष्टि करते हुए ऐलान किया, “हमने ईरान के परमाणु सपनों को चकनाचूर कर दिया है!”
अमेरिकी हमले से कुछ घंटे पहले ही ईरान की खुफिया एजेंसियों को इस ऑपरेशन की भनक लग गई थी। आनन-फानन में इन परमाणु ठिकानों को खाली करा लिया गया—वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बंकरों में भेज दिया गया या सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया। इससे यह संभावना है कि इतने भीषण हमले के बावजूद जान-माल का नुकसान अपेक्षाकृत कम हुआ होगा।
इस ऑपरेशन में अमेरिका ने अपने सबसे एडवांस्ड B-2 Spirit स्टील्थ बॉम्बर्स और टामहॉक मिसाइल का इस्तेमाल किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, कम-से-कम चार B-2 बॉम्बर्स ने मिशन में भाग लिया जिसमें एक स्टैंडबाय की तरह उपयोग किया गया।

इन जेट्स ने GBU-57A/B पेनिट्रेटर (MOP) जैसे बंकर-बस्टर बम गिराए हैं।
फोर्डो साइट पर तो B-2 Spirit स्टील्थ बॉम्बर्स ने “फुल पेलोड” यानी पूरी बम लोड गिराया यानी 30,000 पाउंड के कुल 6 बंकर-बस्टर बम , जिससे जमीन के 100 मीटर नीचे बने कंक्रीट के तहखानों तक तबाही पहुंची।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, फोर्डो और नतांज साइट्स पर एक के बाद एक कई बम गिराए गए। आसमान में आग के गोले और धुएं के बादल छा गए। इस्फहान के पास तो धमाकों की गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। ईरानी सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन अमेरिकी फाइटर जेट्स सुरक्षित लौट गए।
अगर ईरान ने पलटवार किया तो पूरा पश्चिम एशिया जंग की आग में झुलस सकता है। क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है? क्या इंसानियत एक और परमाणु तबाही देखने वाली है? फिलहाल, पूरी दुनिया की नजरें तेहरान और वॉशिंगटन पर टिकी हैं।
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