कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें 2014 में भाजपा को मिली बड़ी जीत के बाद से ही चुनाव आयोग की गतिविधियों पर संदेह होने लगा था। जब उन्होंने इसकी सच्चाई जानने की कोशिश की, तो जो तथ्य सामने आए, उन्हें पूरे देश के सामने लाने का संकल्प लिया।
शनिवार को विज्ञान भवन में कांग्रेस के विधि विभाग के वार्षिक अधिवेशन में राहुल गांधी ने कहा कि 2014 से ही उन्हें चुनाव प्रणाली पर शक हो रहा है। उस समय भाजपा की बड़ी जीत ने उन्हें हैरान किया था और बाद में भी उन्होंने इसी तरह की स्थिति देखी।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जो हुआ, उसने उन्हें इस मुद्दे को गंभीरता से लेने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि वह बिना सबूत के कुछ नहीं कहते, लेकिन अब उनके पास ठोस प्रमाण हैं। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग ठीक से काम नहीं कर रहा और उसने समझौता किया है। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज़ों को स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि एक राजनेता के रूप में उनका काम अन्य नेताओं से मिलना होता है। उन्होंने नेताओं के बातचीत के तरीके का उदाहरण देते हुए कहा कि ज़्यादातर नेता पहले इधर-उधर की बातें करते हैं और अंत में मुद्दे पर आते हैं, जबकि अभिषेक मनु सिंघवी जैसे लोग सीधे मुद्दे पर आते हैं और 30 सेकंड में बात स्पष्ट कर देते हैं।
अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रियंका ने उन्हें आगाह किया था कि वह आग से खेल रहे हैं। उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें पता है और वह आग से खेलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ विचारधारा कायरता पर आधारित है और उन्हें अपने परिवार से यह सीख मिली है कि कायरों से डरना सबसे बड़ी कायरता है।