‘राइजिंग राजस्थान’ (Rising Rajasthan) इन्वेस्टमेंट समिट… नाम में जितना चमक-दमक है, अंदर से उतनी ही खोखली होती जा रही है इसकी हकीकत। समिट में करोड़ों के MOU साइन हुए थे, मंच पर बड़े-बड़े दावे, तालियां और कैमरे की चमक-दमक के बीच राजस्थान (Rajasthan) को निवेश का हॉटस्पॉट बताया गया था। लेकिन अब जब इन्हे धरातल पर लाने का वक़्त आया तो सच्चाई कुछ और ही निकल रही है। ऊर्जा सेक्टर की चार बड़ी कंपनियों ने, जिनमें देश की नामी कंपनियां और खुद भारत सरकार की सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) भी शामिल है, अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। SECI ने तो सीधा डेढ़ लाख करोड़ का निवेश घटाकर 50 हजार करोड़ कर दिया है, यानी 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा की कटौती और वो भी बिना किसी औपचारिक घोषणा के, सिर्फ मौखिक सूचना के आधार पर।

MOU साइन करना था या बस गिनती बढ़ाना?
बाक़ी तीन कंपनियों ने या तो दो-दो MOU का हवाला देकर एक को रद्द करने की बात की है या फिर सीधी-सी बात ये सामने आई है कि उनकी आर्थिक हालत ही ठीक नहीं है। सवाल उठते हैं कि जब समिट में इन कंपनियों के साथ समझौते हुए, तब इनकी बैकग्राउंड चेकिंग क्यों नहीं हुई, क्योंकि अगर आर्थिक हालात ही खराब थे तो बिना चेकिंग ये क्यों करार कर दिया? क्या उद्योग और ऊर्जा विभाग ने सिर्फ MOU की गिनती बढ़ाने के चक्कर में बिना ज़मीनी तैयारी के ये करार कर लिए? और फिर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) तो खुद लगातार अधिकारियों को निर्देश देते रहे कि निवेशकों से संपर्क में रहें, लेकिन अगर ऐसा हुआ होता तो आज ये नौबत क्यों आती?
प्रेस रिलीज़ चमकी, ज़मीन पर कुछ नहीं
जब जनवरी 2024 में भाजपा नेताओं ने मंच से कहा था कि यह समिट राजस्थान की आर्थिक दिशा बदल देगा, तब क्या सिर्फ पोस्टर और प्रेस रिलीज़ की स्क्रिप्ट तैयार की जा रही थी? क्या ये समिट वाकई निवेश लाया या फिर सिर्फ तस्वीरों में चमकता एक इवेंट था, जो अब धीरे-धीरे धुंधला पड़ रहा है?
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