Shahjahanpur का दर्दनाक हादसा: पिता ने चार बच्चों की हत्या करके की आत्महत्या
उत्तर प्रदेश के Shahjahanpur जिले के रोजा थाना क्षेत्र के मानपुर चचरी गाँव में एक सदमे भरी घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। गुरुवार की सुबह जब परिजनों ने देखा कि राजीव कुमार (36 वर्ष) के घर से कोई आवाज़ या हलचल नहीं आ रही है, तो उन्हें शक हुआ। घर का दरवाजा तोड़ने पर भीतर का मंज़र देखकर सभी स्तब्ध रह गए। राजीव फंदे से लटक रहा था, जबकि बेड पर उसके चार मासूम बच्चों के शव पड़े थे।
क्या थी घटना की वजह?
Shahjahanpur: प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, राजीव और उसकी पत्नी क्रांति के बीच अक्सर विवाद होता था। कुछ दिन पहले ही पत्नी मायके चली गई थी, जिसके बाद राजीव गुस्से में था। इसी आक्रोश में उसने अपने ही बच्चों को धारदार हथियार से मार डाला और फिर खुद भी आत्महत्या कर ली।
मरने वालों की पहचान
Shahjahanpur: इस हादसे में राजीव के चार बच्चों की मौत हुई, जिनमें तीन बेटियाँ और एक बेटा शामिल था। सबसे बड़ी बेटी 14 साल की थी, जबकि सबसे छोटा बेटा महज 5 साल का था। इस घटना ने पूरे गाँव को शोक में डुबो दिया।

पुलिस की जाँच और मामले की गंभीरता
Shahjahanpur: मामले की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुँचे। सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पुलिस के अनुसार, राजीव पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में था और उसका गुस्सा अक्सर हिंसक रूप ले लेता था।
गाँव वालों ने बताया पारिवारिक कलह
Shahjahanpur: गाँव वालों का कहना है कि राजीव और उसकी पत्नी के बीच लगातार झगड़े होते थे। पत्नी के मायके जाने के बाद राजीव का गुस्सा और बढ़ गया था। वह मजदूरी करके परिवार का पेट पालता था, लेकिन आर्थिक तंगी और पारिवारिक तनाव ने उसे इस कदर बेकाबू कर दिया कि उसने अपने ही बच्चों की जान ले ली।
मनोवैज्ञानिक पहलू: क्यों बढ़ रही ऐसी घटनाएँ?
Shahjahanpur: इस घटना ने एक बार फिर समाज में बढ़ते मानसिक तनाव और हिंसक प्रवृत्तियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आर्थिक दबाव, पारिवारिक कलह और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही ऐसी घटनाओं को जन्म देती हैं। राजीव के मामले में भी यही देखने को मिला कि वह लगातार गुस्से में रहता था और उसने कभी किसी मनोचिकित्सक से सलाह नहीं ली।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
Shahjahanpur: ऐसी घटनाएँ सिर्फ एक परिवार तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि पूरे समाज को झकझोर देती हैं। सरकार और समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। गाँव-गाँव में काउंसलिंग सेंटर, हेल्पलाइन नंबर और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
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