जनगणना में देरी पर Sonia Gandhi का मोदी सरकार पर हमला, 14 करोड़ को नहीं मिल रहा राशन!

Sonia Gandhi

Sonia Gandhi का मोदी सरकार पर हमला: जनगणना में देरी से 14 करोड़ लोग हो रहे खाद्य सुरक्षा से वंचित

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पार्टी की संसदीय दल की अध्यक्ष Sonia Gandhi ने सोमवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने जनगणना में हो रही देरी और उसके परिणामस्वरूप 14 करोड़ भारतीयों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित रहने पर चिंता व्यक्त की। Sonia Gandhi ने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक गंभीर चूक बताते हुए सरकार से त्वरित जनगणना की प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की मांग की।

जनगणना में हो रही देरी

Sonia Gandhi ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में जनगणना की प्रक्रिया में 4 साल से अधिक की देरी हो चुकी है। मूल रूप से यह 2021 में होने वाली थी, लेकिन अब तक इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि जनगणना कब आयोजित की जाएगी। Sonia Gandhi ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वतंत्र भारत में जनगणना में इतनी देरी हो रही है, जो देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों पर गहरा असर डाल सकती है।

खाद्य सुरक्षा को अधिकार मानती हैं Sonia Gandhi

Sonia Gandhi ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। उन्होंने यूपीए सरकार द्वारा लागू किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) को एक ऐतिहासिक कदम बताया, जिसका उद्देश्य 140 करोड़ भारतीयों को पोषण और खाद्य सुरक्षा प्रदान करना था। गांधी ने यह भी कहा कि इस अधिनियम ने लाखों गरीब और कमजोर परिवारों को भूखमरी से बचाने में अहम भूमिका निभाई, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान।

14 करोड़ लोग लाभ से वंचित

कांग्रेस नेता ने यह स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार है। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि जनगणना में हो रही देरी के कारण, खाद्य सुरक्षा लाभार्थियों के लिए कोटा अब भी 2011 की जनगणना के आधार पर निर्धारित किया जा रहा है, जो अब एक दशक पुरानी हो चुकी है। इससे लगभग 14 करोड़ योग्य भारतीय नागरिकों को खाद्य सुरक्षा से वंचित किया जा रहा है।

मोदी सरकार से त्वरित जनगणना की मांग

Sonia Gandhi ने कहा कि इस समस्या का समाधान सिर्फ और सिर्फ एक त्वरित जनगणना में है, ताकि सरकार सही आंकड़ों के आधार पर सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा के लाभ दे सके। उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता दे और जनगणना जल्द से जल्द पूरी करने के लिए कार्रवाई करे।

उन्होंने कहा, “जब 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा से वंचित हैं, तो यह एक गंभीर मामला बन जाता है। यह जरूरी है कि सरकार इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करे और यह सुनिश्चित करे कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ मिलें।”

कोविड-19 के दौरान खाद्य सुरक्षा का महत्व

Sonia Gandhi ने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने कोविड-19 महामारी के दौरान गरीब और कमजोर वर्गों को बड़ी राहत दी थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लाखों भारतीयों को राशन दिया गया था, और यह योजना खाद्य सुरक्षा अधिनियम की ही उपज थी।

Sonia Gandhi ने यह याद दिलाया कि जब महामारी का संकट था, तब सरकार ने इस अधिनियम को लागू किया और गरीबों के लिए खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की। ऐसे में, जनगणना में हो रही देरी से यह योजना प्रभावित हो रही है और जरूरतमंदों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

सरकार के बजट आवंटन पर सवाल

Sonia Gandhi ने यह भी कहा कि इस साल के बजट से यह साफ हो गया है कि जनगणना इस वर्ष भी आयोजित होने की संभावना नहीं है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर जनगणना की प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हो रही है, जबकि यह सामाजिक और आर्थिक योजनाओं के लिए बेहद जरूरी है।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम का महत्व

Sonia Gandhi ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने गरीब और कमजोर वर्गों के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह न केवल लोगों को राशन देने का एक तरीका है, बल्कि इसके माध्यम से देश की सामाजिक सुरक्षा को भी मजबूती मिलती है। उन्होंने कहा कि यह कानून गरीबों के अधिकारों की रक्षा करता है और सरकार की जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी योग्य लोग इससे लाभान्वित हो सकें।

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