भाटपोर गांव: जहां लव मैरिज है परंपरा, और शादी गांव में ही होती है
सूरत का ‘Valentine Village’
वेलेंटाइन डे 14 फरवरी को दुनिया भर में मनाया जाता है, लेकिन सूरत के एक छोटे से गांव भाटपोर में यह पूरे साल चलता है। यह गांव भारत का एक ऐसा खास स्थान है, जहां लव मैरिज (प्रेम विवाह) न केवल एक ट्रेंड बल्कि एक परंपरा बन चुकी है। यहां के लोग अपने जीवन साथी को अपनी पसंद से चुनते हैं, और यही प्रेम उनके जीवनभर का साथी बना देता है। यहां की परंपरा इस हद तक गहरी है कि तीन पीढ़ियों से यहां के लोग अपने गांव में ही शादी करते आ रहे हैं, और 90% से अधिक लोग लव मैरिज करते हैं।
भाटपोर की परंपरा और गर्व
भाटपोर गांव का नाम इस समय बहुत चर्चा में है, क्योंकि यहां लव मैरिज एक पहचानी हुई परंपरा बन चुकी है। इस गांव के लोग अपने गांव में ही शादी करते हैं और परिवार की स्वीकृति के बाद अपना जीवन साथी चुनते हैं। यहां के बुजुर्ग भी इस परंपरा का समर्थन करते हैं, और यह परंपरा अब तक तीन पीढ़ियों तक चली आ रही है। इस गांव के लोग गर्व से कहते हैं कि लव मैरिज उनकी पहचान बन चुकी है, और यहां शादी के लिए बाहरी गांव में जाना या किसी अन्य जगह पर शादी करना दुर्लभ है।
तीन पीढ़ियों से लव मैरिज का चलन
अगर आप सोच रहे हैं कि भाटपोर में लव मैरिज सिर्फ आजकल के युवा करते हैं, तो यह बात सही नहीं है। यहां के दादा-दादी भी अपने समय में लव मैरिज का हिस्सा रहे थे। इस परंपरा की शुरुआत कई साल पहले हुई थी, और आज भी यह परंपरा लगातार कायम है। भाटपोर गांव में लव मैरिज की शुरुआत एक मजबूत परिवारिक परंपरा के रूप में हुई थी, जो आज तक बरकरार है। यहां के लोग अपनी पसंद से अपने जीवन साथी का चुनाव करते हैं, और फिर परिवार की स्वीकृति से शादी करते हैं।
गांव में शादी करना एक गर्व की बात है
भाटपोर गांव के लोग मानते हैं कि गांव में शादी करने से कोई भी नया तनाव नहीं आता। वे गांव में ही रहकर अपने जीवन को अच्छे से जी सकते हैं, क्योंकि हर कोई एक-दूसरे को जानता है। जब कोई यहां शादी करता है, तो वह सिर्फ अपने साथी से ही नहीं, बल्कि पूरे गांव से जुड़ता है। यहां के लोग शादी के बाद अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, और यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। इस परंपरा का फायदा यह है कि गांव में रिश्ते मजबूत होते हैं, और सभी के बीच एक-दूसरे के प्रति संबंध मजबूत होते हैं।
99% शादियां गांव में होती हैं
भाटपोर गांव के सरपंच देवीदास पटेल ने इस परंपरा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1968 से उनका गांव एक स्वतंत्र ग्राम पंचायत है। यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां 99% शादियां गांव के भीतर ही होती हैं। उन्होंने कहा, “हमारे गांव की यह परंपरा पिछले 2-3 पीढ़ियों से चली आ रही है, और हम इस परंपरा को बनाए रखते हुए शादी कराते हैं।” यहां के लोग अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए शादी के लिए गांव में ही साथी चुनते हैं, और परिवार की सहमति से यह फैसला लिया जाता है।
रमीला बेन पटेल की कहानी
भाटपोर की निवासी रमीला बेन पटेल ने भी इस परंपरा के बारे में अपनी राय साझा की। उन्होंने बताया कि उनका मायका और ससुराल दोनों इसी गांव में हैं, और उनकी शादी भी गांव के अंदर ही हुई थी। रमीला बेन ने अपनी बेटी की शादी भी भाठा गांव में करवाई है, जो इस परंपरा का हिस्सा है। वे बताती हैं कि इस गांव के लोग अपनी शादी के लिए हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं और यहीं की संस्कृति और परंपराओं को सम्मानित करते हैं।
लव मैरिज का यह ट्रेंड और गांव की पहचान
भाटपोर गांव में लव मैरिज एक सामाजिक परंपरा बन चुकी है, जिसे वहां के लोग गर्व से अपनाते हैं। यहां के लोग यह मानते हैं कि लव मैरिज से उनके रिश्तों में मजबूती आती है और वे अपने साथी को अपने परिवार और समाज से जुड़ा महसूस करते हैं। यह परंपरा अब तक तीन पीढ़ियों से चली आ रही है और भविष्य में भी जारी रहने की उम्मीद है। यह गांव अपनी प्रेमपूर्ण परंपराओं और सामाजिक बंधनों के कारण विशेष बन गया है।
गांव की संस्कृति और पहचान
भाटपोर गांव की सबसे बड़ी विशेषता इसकी संस्कृति और परंपरा है। यहां के लोग अपने गांव को एक परिवार की तरह मानते हैं, और शादी करके पूरे गांव से जुड़ जाते हैं। यह एक बहुत ही खास और अद्भुत परंपरा है, जो कहीं और देखने को नहीं मिलती। यहां की परंपराओं में प्रेम और रिश्तों की गहरी अहमियत है, और यही वजह है कि भाटपोर की लव मैरिज परंपरा आज भी जीवित है और चलती आ रही है।