विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर राजस्थान में ‘Vande Ganga जल संरक्षण जन अभियान’ की शुरुआत जोश और संकल्प के साथ हुई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जयपुर से इस अभियान की शुरुआत करते हुए कहा, “जल जीवन है और इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।” इस जन आंदोलन का उद्देश्य है, जल संरचना का जीर्णोद्धार, भू-जल पुनर्भरण, और पर्यावरण के प्रति व्यवहार में बदलाव। जयपुर से श्रीगंगानगर तक, हर शहर और गांव में यही संदेश गूंजा “जल बचाओ, भविष्य सजाओ।”
Vande Ganga: एकजुटता की मिसाल, साइकिल रैली से श्रमदान तक
श्रीगंगानगर में इस अभियान की शुरुआत रामलीला मैदान से साइकिल रैली के ज़रिए हुई, जो महाराजा गंगा सिंह चौक तक पहुंची। इसमें प्रभारी सचिव राजेश यादव ने खुद साइकिल चलाई। इसी तरह अलवर में प्रभारी सचिव वैभव और कलेक्टर डॉ. अर्तिका शुक्ला ने नगर वन में अभियान को आगे बढ़ाया। बिजयनगर में नगरपालिका ईओ प्रताप सिंह भाटी और दीपेन्द्र सिंह शेखावत ने PHED परिसर की बावड़ी की सफाई से शुरुआत की और श्रमिकों के साथ खुद फावड़ा उठाकर श्रमदान किया। उनका संदेश था “सिर्फ भाषण नहीं, काम ज़रूरी है।”
Vande Ganga: जब सरकार, प्रशासन और जनता साथ हों
बयाना, बारां और मकराना जैसे शहरों में यह अभियान एक उत्सव की तरह मनाया गया। प्रतिमाओं की सफाई, पौधारोपण, झीलों की सफाई, और कलश यात्राओं से यह स्पष्ट हो गया कि यह सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन आंदोलन बन चुका है। बारां में कलेक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर और प्रभारी सचिव जोगा राम ने खुद झील की सफाई कर लोगों को प्रेरित किया। मकराना में नगर आयुक्त श्रवण चौधरी ने जल संरक्षण की शपथ दिलाई। ये अभियान 5 से 20 जून तक चलेगा, लेकिन इसका असर पीढ़ियों तक नजर आएगा। ‘वंदे गंगा’ सिर्फ एक नाम नहीं, ये एक संकल्प है जल बचाने का, जीवन बचाने का।
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