Vande Ganga: राजस्थान (Rajasthan), अपनी शुष्क जलवायु और सीमित जल संसाधनों (Water Resources) के लिए जाना जाता है, लंबे समय से पानी की समस्या (Water Scarcity) से जूझ रहा है। इस गंभीर चुनौती से निपटने और भूजल स्तर (Groundwater Level) को बढ़ाने के उद्देश्य से, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक महत्वाकांक्षी पहल की है। 5 जून से 20 जून तक पूरे प्रदेश में ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान’ (Vande Ganga Jal Sanrakshan Jan Abhiyan) शुरू किया जा रहा है। यह अभियान विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) और गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के खास मौके पर शुरू होगा, जो इसे और भी प्रासंगिक बनाता है। इस अभियान का मुख्य मकसद लोगों को पानी बचाने (Water Conservation) और पर्यावरण (Environment) की अहमियत समझाना है। साथ ही, इसका लक्ष्य हमारी पुरानी संस्कृति में छुपे जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों (Traditional Water Conservation Methods) को फिर से सामने लाना है, ताकि यह एक बड़ा जन आंदोलन (Mass Movement) बन सके और हर नागरिक जल संरक्षण के इस प्रयास में भागीदार बन सके।
'वंदे गंगा'
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) June 4, 2025
जल संरक्षण-जन अभियान
सभी प्रदेशवासियों से अपील है कि वे जन सहभागिता के इस अभियान से जुड़ें।
अपने गांव-शहर के तालाबों, नदियों और अन्य जल स्रोतों की साफ-सफाई के लिए श्रमदान करें और इन्हें स्वच्छ एवं संरक्षित बनाने में अपना सक्रिय योगदान दें।
आइए, मिलकर जल संरक्षण को… pic.twitter.com/7RM3P0ai4r
Vande Ganga मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अभिनव पहल और विस्तृत कार्यक्रम
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा स्वयं इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 5 जून को, वे जयपुर के रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam) के पास गोपालगढ़ गांव में श्रमदान (Shramdaan) कर अमृतम जलम अभियान (Amritam Jalam Abhiyan) में हिस्सा लेंगे। यह प्रतीकात्मक शुरुआत लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करेगी।
इसके बाद, मुख्यमंत्री राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (Rajasthan International Centre) में एक राज्य स्तरीय बैठक (State Level Meeting) को संबोधित करेंगे, जहाँ अभियान की विस्तृत रूपरेखा और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। उनका अगला पड़ाव बूंदी (Bundi) जिले का गोहाटा होगा, जहाँ वे रामजल सेतु लिंक परियोजना (Ramjal Setu Link Project) के तहत बने एक्वाडक्ट (Aqueduct) का निरीक्षण करेंगे। यह परियोजना प्रदेश में जल वितरण प्रणाली (Water Distribution System) को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
आगे बढ़ते हुए, मुख्यमंत्री केशोरायपाटन में चंबल घाट (Chambal Ghat) पहुँचकर पूजा-पाठ, चुनरी महोत्सव (Chunri Mahotsav) और कलश यात्रा (Kalash Yatra) में भाग लेंगे। यह धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव अभियान को और भी व्यापक आधार प्रदान करेगा। शाम को, वे भरतपुर (Bharatpur) जाएंगे, जहाँ गंगा मंदिर में पूजा-अर्चना, प्रसाद वितरण और तुलसी पौधा वितरण कार्यक्रम (Tulsi Plant Distribution Program) में हिस्सा लेंगे। अंत में, वे मंशा माता मंदिर के पास दीप जलाकर इस व्यस्त दिन का समापन करेंगे।
मुख्यमंत्री के इस पूरे अभियान Vande Ganga में जल मंत्री सुरेश रावत (Suresh Rawat) भी पूरी ताकत से लगे हुए हैं। वे पानी बचाने और जल संरक्षण के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं (Government Schemes) को सुचारु रूप से चलाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
Vande Ganga: जल मंत्री सुरेश रावत के विशेष प्रयास और प्रमुख परियोजनाएं
जल मंत्री सुरेश रावत ने प्रदेश में जल संरक्षण को लेकर विशेष प्रयास किए हैं। उन्होंने खासतौर पर बारिश का पानी जमा करने (Rainwater Harvesting) और बड़ी पानी की परियोजनाओं (Water Projects) को महत्व दिया है। उनकी अगुवाई में चल रही पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (Parbati-Kalisindh-Chambal Link Project) एक गेम-चेंजर साबित होने की उम्मीद है, जिससे प्रदेश के कई जिलों में पानी की सुविधा बेहतर होगी और सूखाग्रस्त क्षेत्रों को राहत मिलेगी।
इसके साथ ही, रामगढ़ बांध को फिर से ठीक करने के लिए भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, जिसका ऐतिहासिक महत्व है और जो कभी जयपुर की जीवनरेखा था। बाणगंगा नदी (Banganga River) में पानी बढ़ाने और नए जल प्रबंधन प्रोजेक्ट्स (New Water Management Projects) पर भी युद्धस्तर पर काम चल रहा है। यह सभी प्रयास राजस्थान में जल संकट (Water Crisis in Rajasthan) को स्थायी रूप से हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। इस साल जल विभाग को 6,556 करोड़ रुपये का बड़ा बजट (Budget Allocation) मिला है, जिससे प्रदेश में पानी बचाने और जल संकट से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। यह पर्याप्त वित्तीय सहायता इन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में सहायक होगी।
भजनलाल सरकार का यह ‘Vande Ganga जल संरक्षण-जन अभियान’ सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि राजस्थान को जल-आत्मनिर्भर (Water Self-reliant) बनाने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह अभियान कैसे जनभागीदारी (Public Participation) के माध्यम से प्रदेश की जल समस्या को हल करने में सफल होता है।
Read More: बजट के बाद रेल कंपनियों का हाल बुरा, RVNL सहित 8% गिरा शेयर भाव