वर्ष 2024-25 में दिव्यांगों को रोजगार में मिली रिकॉर्ड प्रगति, 23 हजार से अधिक को मिली नौकरी

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2024-25 में उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजनों को रोजगार में अभूतपूर्व प्रगति, 23 हजार से अधिक को मिला काम

2024-25 में उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से मनरेगा योजना के तहत दिव्यांगजनों, महिलाओं, गरीबों और मजदूरों को रोजगार प्रदान करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और समाज के विभिन्न वर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। खासकर दिव्यांगजनों के लिए इस योजना ने रोजगार के क्षेत्र में नए रास्ते खोले हैं। वर्ष 2024-25 में इस योजना के तहत दिव्यांगजनों को रोजगार देने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई है, और इस वर्ष 23,262 दिव्यांगजनों को रोजगार प्रदान किया गया है।

मनरेगा योजना के तहत दिव्यांगजनों को रोजगार की सशक्त पहल

2024-25: उत्तर प्रदेश में मनरेगा योजना के तहत दिव्यांगजनों को उनकी शारीरिक क्षमता और कार्यकुशलता के आधार पर रोजगार प्रदान किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत दिव्यांगजनों को विभिन्न प्रकार के कार्य सौंपे जाते हैं, जिन्हें वे अपनी क्षमता के अनुसार आसानी से कर सकते हैं। योजना का उद्देश्य न केवल रोजगार प्रदान करना है, बल्कि दिव्यांगजनों को सामाजिक न्याय और समानता का अनुभव कराना भी है।

वर्ष 2017-18 से लेकर अब तक, उत्तर प्रदेश में 1.24 लाख से अधिक दिव्यांगजनों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार दिया गया है। इसके माध्यम से अब तक 44.64 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं, जो इस योजना की सफलता को साबित करते हैं।

वर्ष 2024-25 में दिव्यांग रोजगार में अभूतपूर्व वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2024-25 में दिव्यांगजनों को रोजगार देने में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष, 50,201 पंजीकृत दिव्यांग जॉब कार्ड धारकों में से 23,262 दिव्यांगजनों को रोजगार प्रदान किया गया है। इस दौरान 8.28 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं। यह आंकड़ा बीते वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है, जो मनरेगा योजना की सफलता और दिव्यांगजनों के लिए रोजगार के अवसरों की बढ़ती संख्या को दर्शाता है।

पिछले वर्षों के आंकड़े: एक बेहतर तस्वीर

2024-25: अगर पिछले वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो, 2017-18 में 11,332, 2018-19 में 10,993, 2019-20 में 10,699, 2020-21 में 17,400, 2021-22 में 14,065, 2022-23 में 13,948 और 2023-24 में 22,630 दिव्यांगजनों को रोजगार प्रदान किया गया। अब, वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा 23,262 तक पहुंच चुका है, जो योजना की निरंतर सफलता को साबित करता है।

डिजिटल तकनीक का प्रयोग और पारदर्शिता

2024-25: उत्तर प्रदेश सरकार ने मनरेगा योजना को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया है। अब पंजीकरण, जॉब कार्ड वितरण और कार्य आवंटन की प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया गया है। इससे योजना की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनी रहती है और लाभार्थियों को शीघ्रता से उनका कार्य आवंटित किया जाता है।

यह डिजिटल प्रणाली न केवल योजना के कार्यान्वयन में मदद करती है, बल्कि दिव्यांगजनों और अन्य श्रमिकों के लिए काम की उपलब्धता को और अधिक सुलभ बनाती है। यह तकनीकी पहल सरकार के अच्छे प्रशासन और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

दिव्यांगजनों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य

2024-25: मनरेगा योजना के तहत दिव्यांगजनों को ऐसे कार्य सौंपे जाते हैं, जिन्हें वे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार कर सकें। यह सुनिश्चित किया गया है कि उन्हें कोई ऐसा कार्य न सौंपा जाए, जो उनकी क्षमता से बाहर हो। इस प्रकार, योजना ने दिव्यांगजनों को समाज में सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान किया है।

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम दिव्यांगजनों के लिए रोजगार सृजन का एक प्रभावी साधन साबित हो रहा है। इसके माध्यम से दिव्यांगजन अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं और समाज में अपनी उपस्थिति को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।

समाज में समानता और सामाजिक न्याय का मार्गदर्शन

2024-25: मनरेगा योजना का उद्देश्य सिर्फ रोजगार प्रदान करना नहीं है, बल्कि यह योजना समाज में समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा भी देती है। यह योजना दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें समाज के मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों के कल्याण और रोजगार के अवसरों को प्राथमिकता दी है। उनका यह कदम समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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