Bikaner House पर कोर्ट का आदेश: 50 लाख के मामले में फंसी राजस्थान की ऐतिहासिक संपत्ति
राजस्थान के ऐतिहासिक Bikaner House के लिए एक नया संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में, जिला न्यायाधीश विद्या प्रकाश ने आदेश पारित किया, जिसके तहत इस संपत्ति के खिलाफ कुर्की का वारंट जारी किया गया है। यह आदेश Bikaner House की मालिकाना स्थिति और उसकी वित्तीय स्थिति को लेकर आए विवाद के कारण आया है। इस मामले में, ‘एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड’ को 2020 में दिए गए मध्यस्थता आदेश का पालन न होने की वजह से यह कदम उठाया गया। अदालत ने इस मामले में देनदार की ओर से दी गई कई बार की चेतावनियों को नज़रअंदाज करते हुए यह फैसला दिया।

Bikaner House का इतिहास और विवाद
Bikaner House, जो राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है, एक ऐतिहासिक और शानदार इमारत है। यह बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह द्वारा 19वीं सदी के अंत में बनवाया गया था। यह भवन न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी वास्तुकला और भव्यता भी इसे एक प्रमुख धरोहर बनाती है। हालांकि, अब इस आलीशान संपत्ति को लेकर एक कानूनी विवाद सामने आया है, जिसने इसकी भविष्यवाणी पर सवाल उठाए हैं।
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब नगर पालिका नोखा ने बीकानेर हाउस के खिलाफ 50 लाख रुपये के देनदारी मामले में अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका को लेकर अब तक कई सुनवाइयां हो चुकी हैं, और अदालत ने देनदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है।
कोर्ट का निर्णय और आदेश
जिला न्यायाधीश विद्या प्रकाश ने अपनी अदालत में इस मामले पर सुनवाई के बाद आदेश पारित किया। जज ने कहा कि नगर पालिका द्वारा 2023 की शुरुआत में दायर की गई अपील के खारिज होने के बाद 2020 का मध्यस्थता आदेश अब अंतिम हो गया है। यह आदेश ‘एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड’ के पक्ष में था, जो इस मामले में एक महत्वपूर्ण पक्षकार है। जज ने यह भी कहा कि देनदार द्वारा बार-बार दिए गए अवसरों के बावजूद, उन्होंने अपनी संपत्ति का हलफनामा अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश नहीं माना, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
18 सितंबर को पारित आदेश में जज ने इस बात पर जोर दिया कि देनदार की अचल संपत्ति, यानी बीकानेर हाउस, के खिलाफ कुर्की वारंट जारी करना एक उचित कदम है। जज ने यह माना कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद देनदार ने अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, अदालत ने इस संपत्ति पर एक स्थगन आदेश जारी किया और उसे किसी भी रूप में बेचने, उपहार देने या ट्रांसफर करने से रोक दिया।
Bikaner House पर कुर्की का आदेश
Bikaner House को लेकर अदालत द्वारा जारी किया गया कुर्की आदेश बीकानेर के स्थानीय प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है। कोर्ट ने 21 जनवरी 2020 को एक मध्यस्थता आदेश पारित किया था, जिसमें बीकानेर हाउस की बिक्री और अन्य लेन-देन पर रोक लगाई गई थी। इस आदेश के तहत, अदालत ने नगरपालिका नोखा को निर्देश दिया कि वह बीकानेर हाउस को किसी अन्य को न बेचें और न ही इसे ट्रांसफर करें।
अदालत ने इस आदेश को लागू करने का आग्रह करते हुए कहा कि यदि देनदार अपनी संपत्ति का हलफनामा प्रस्तुत नहीं करता है, तो यह उसकी संपत्ति पर कुर्की लगाने के लिए एक वैध आधार बनता है। अदालत ने नगर पालिका नोखा के प्रतिनिधि को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को निर्धारित की गई है, जिससे यह साफ है कि इस मामले का कोई न कोई हल जल्द ही निकलने की संभावना है।
कानूनी प्रक्रिया और भविष्य की दिशा
Bikaner House के खिलाफ जारी इस कुर्की आदेश ने कानूनी और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह मामला एक और उदाहरण बन गया है, जहां ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संपत्तियों से जुड़ी कानूनी जटिलताएँ सामने आई हैं। इस मामले के चलते ना केवल बीकानेर हाउस की स्थिति को लेकर सवाल उठे हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका के लिए भी यह एक चुनौती बन गया है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के मामलों में देनदार के खिलाफ दिए गए आदेश को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसमें संबंधित संपत्ति की असल स्थिति और उसकी क़ानूनी स्थिति पर ध्यान देना होता है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि इस आदेश का पालन किया जाए, ताकि कर्ज़ की वसूली की प्रक्रिया सही ढंग से पूरी हो सके
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