कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास पहुंचे मौके पर, सरकार और परिवार के बीच हुई बातचीत सफल
अपडेट इंडिया | जयपुर | 22 जून 2025
जयपुर के सदर थाना परिसर में एक युवक की सुसाइड के बाद प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। इस मामले में पुलिस कमिश्नर ने थाना प्रभारी (CI) सहित 6 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। वहीं मृतक मनीष पांडे के परिवार ने SMS अस्पताल की मॉर्च्यूरी के बाहर धरना दे दिया, जिसके बाद मामला गरमा गया।
धरने के दौरान कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास मौके पर पहुंचे और परिजनों से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की। परिजनों ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, आर्थिक सहायता और पत्नी को नौकरी देने की मांग की थी।

सरकार और परिवार के बीच बनी सहमति
परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल चतुर्वेदी ने जानकारी दी कि सरकार ने परिवार की प्रमुख मांगें मान ली हैं। सहमति के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
• मृतक की पत्नी को संविदा पर सरकारी नौकरी दी जाएगी।
• सामाजिक संगठनों की मदद से 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलवाई जाएगी।
• जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है।
• सरकार की ओर से अलग से आर्थिक मदद का आश्वासन भी दिया गया है।
इस सहमति के बाद परिवार ने धरना समाप्त करने की घोषणा की।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश निवासी मनीष पांडे (28) जयपुर के मानसरोवर के मांग्यावास इलाके में किराये पर रह रहा था। वह शराब का आदी था और पहले भी वाहन चोरी के मामलों में लिप्त पाया गया था।
शनिवार दोपहर वह सदर थाना क्षेत्र में बाइक चोरी करते हुए पकड़ा गया, जहां लोगों ने उसकी पिटाई कर दी। इसके बाद उसे पुलिस ने हिरासत में लिया और थाने लाया गया।
शनिवार शाम को सदर थाने के लॉकअप में मनीष ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस का कहना है कि यह पूरी घटना शराब के नशे और मानसिक अस्थिरता के चलते हुई। हालांकि परिवार ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं और आत्महत्या के लिए थाने में उत्पीड़न को जिम्मेदार ठहराया।
प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने जयपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक युवक की थाने में सुसाइड, और फिर परिजनों का विरोध प्रदर्शन — यह दर्शाता है कि पुलिसकर्मियों की निगरानी और मानवीय व्यवहार को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं।
निष्कर्ष
हालांकि, फिलहाल सरकार और परिवार के बीच सहमति बन गई है और मामले की जांच जारी है, लेकिन सवाल अब भी कायम हैं —
थाने में हिरासत में रहने के दौरान कोई व्यक्ति आत्महत्या कैसे कर सकता है?
क्या पुलिस की निगरानी में चूक हुई?
या फिर सच्चाई कुछ और है?
इन सवालों का जवाब आने वाले समय में जांच से मिल सकता है।
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