सिरोही: पिण्डवाड़ा में लाइमस्टोन खनन परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का उग्र विरोध, बोले – “अरावली बचाओ, भविष्य बचाओ

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चार ग्राम पंचायतों का सर्वसम्मति से निर्णय – किसी भी हालत में नहीं होने देंगे खनन

सिरोही: पिण्डवाड़ा तहसील क्षेत्र में प्रस्तावित चुना पत्थर (लाइमस्टोन) खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश उबाल पर है। बुधवार और गुरुवार को वाटेरा ग्राम पंचायत के थम्ब बाबा मंदिर परिसर में चारों ग्राम पंचायतों – वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा – के हजारों ग्रामीण एकजुट हुए और सरकार व प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

सभा में सर्वसम्मति से तय हुआ कि किसी भी परिस्थिति में इस खनन परियोजना को स्वीकार नहीं किया जाएगा। चारों ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने भी ग्रामीणों के साथ खड़े रहने का ऐलान किया।

भीमाना में विशाल धरना प्रदर्शन

ग्रामीणों ने घोषणा की कि 5 अक्टूबर, रविवार को भीमाना में विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने खनन परियोजना पर रोक नहीं लगाई तो यह आंदोलन उग्र जनआंदोलन का रूप ले लेगा।

चार घंटे चली बैठक, बनी रणनीति

बुधवार रात चार घंटे चली बैठक में आंदोलन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा हुई। गुरुवार को भी सामूहिक जुटान हुआ और विरोध को और व्यापक बनाने की योजना बनी।

ग्रामीणों की बड़ी चिंताएँ

ग्रामीण नेताओं ने कहा कि –

  • परियोजना लगभग 800 हेक्टेयर भूमि पर फैली है।
  • यह क्षेत्र अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है, खनन से इसका प्राकृतिक स्वरूप नष्ट होगा।
  • पर्यावरणीय असंतुलन, भूजल स्तर में गिरावट और खेती योग्य जमीन बंजर होने का खतरा है।
  • धूल और प्रदूषण से सिलिकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी फैल सकती है।

ग्रामीणों की आवाज

सभा में ग्रामीणों ने खुले शब्दों में कहा –

  • “खनन से अरावली की पहचान मिट जाएगी।”
  • “खेती की जमीन बंजर होगी, जलस्रोत सूख जाएंगे।”
  • “सिलिकोसिस गांव-गांव में बीमारी फैलाएगी।”
  • “चाहे मर मिटना पड़े, हम खनन नहीं होने देंगे।”

कंपनी को मिली स्वीकृति, बढ़ा आक्रोश

जयपुर की मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड को पिण्डवाड़ा क्षेत्र की छह ग्राम पंचायतों – वाटेरा, भीमाना, भारजा, रोहिड़ा, तरुँगी और डोरीफली – में करीब 800 हेक्टेयर भूमि पर खनन की स्वीकृति दी गई है। इस पर ग्रामीणों ने तीखा विरोध जताते हुए कहा कि यदि कार्य शुरू हुआ तो सड़क से सदन तक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

आंदोलन की सुगबुगाहट तेज

ग्रामीण संगठनों और विभिन्न समाजों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक खनन परियोजना रद्द नहीं होती, तब तक विरोध जारी रहेगा। सभा में भारी संख्या में लोगों ने हाथ उठाकर संकल्प लिया कि “आने वाली पीढ़ियों और अरावली की रक्षा के लिए किसी भी कीमत पर खनन नहीं होने देंगे।”

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