भा.ज.पा. के विरोध के बावजूद पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना लागू करेगी AAP

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शीर्षक: भाजपा के विरोध के बावजूद AAP का ‘पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना’ को लागू करने का वादा

आम आदमी पार्टी (AAP) ने स्पष्ट किया है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) चाहे जितना भी विरोध करे, दिल्ली सरकार ‘पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना’ को लागू करके रहेगी, जिसके तहत पुजारियों और धार्मिक ग्रंथियों को प्रति माह ₹18,000 का मानदेय दिया जाएगा। AAP के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस योजना के प्रति अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि भाजपा का विरोध अरविंद केजरीवाल को इस वादे को पूरा करने से नहीं रोक सकेगा।

भा.ज.पा. की दोहरी नीति पर संजय सिंह का हमला

संजय सिंह ने भाजपा की दोहरी नीति पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली में पुजारियों और ग्रंथियों के लिए ₹18,000 की सम्मान राशि की योजना का विरोध कर रही है, जबकि यही पार्टी अन्य राज्यों में समान वादों को पूरा करने की कोशिश करती है। सिंह ने यह भी बताया कि भाजपा के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर यह सवाल उठा रहे हैं कि क्यों मौलानाओं और इमामों को तनख्वाह नहीं दी जा रही है, जबकि इसी भाजपा ने हरियाणा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में मस्जिदों के इमामों की तनख्वाह बढ़ाने का वादा किया था।

सिंह ने याद दिलाया कि हरियाणा में भाजपा ने इमामों की सैलरी में लगभग 50% की बढ़ोतरी की और अब हर इमाम को ₹16,000 प्रति माह मिल रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर भाजपा हरियाणा में इमामों के लिए ₹16,000 की तनख्वाह बढ़ा सकती है, तो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल द्वारा पुजारियों और ग्रंथियों को ₹18,000 देने पर भाजपा को क्या परेशानी है?

भा.ज.पा. के विरोध पर AAP की स्पष्ट स्थिति

संजय सिंह ने साफ किया कि भाजपा के नेताओं का विरोध चाहे जितना भी तेज हो, AAP दिल्ली में पुजारियों और ग्रंथियों को ₹18,000 प्रति माह देने की योजना पूरी तरह से लागू करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के नेताओं को यह समझना चाहिए कि यह योजना दिल्ली के धार्मिक नेताओं के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करने की एक पहल है, जो वर्षों से समाज की सेवा कर रहे हैं।

सिंह ने यह आरोप लगाया कि भाजपा नफरत की राजनीति में डूबी हुई है, और पार्टी के नेता धार्मिक समरसता के बजाय केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए विवाद उत्पन्न करना चाहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि अगर भाजपा को पुजारियों और ग्रंथियों से इतनी नफरत है, तो यह कितनी बड़ी विडंबना है कि वही पार्टी हरियाणा में इमामों के लिए राशि बढ़ाने का दावा करती है, लेकिन दिल्ली में वही काम करने पर विरोध कर रही है।

भा.ज.पा. से चुनौती: अन्य राज्यों में क्यों नहीं लागू करती योजना?

संजय सिंह ने भाजपा को चुनौती दी कि अगर वह सचमुच धार्मिक नेताओं के कल्याण के लिए चिंतित है, तो वह अपने 22 राज्यों में पुजारियों और ग्रंथियों के लिए ₹18,000 की सम्मान राशि लागू करें। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारों ने अब तक किसी राज्य में पुजारियों को इस तरह की सम्मान राशि नहीं दी है। सिंह ने यह भी कहा कि अगर भाजपा को आम आदमी पार्टी के मुकाबले आना है, तो उसे भी अपने राज्यों में इस योजना को लागू करना होगा।

AAP का स्पष्ट संदेश: धार्मिक नेताओं के प्रति सम्मान

AAP के नेता ने यह भी कहा कि उनके लिए धार्मिक नेताओं का सम्मान करना और उन्हें उनके योगदान के लिए उचित मानदेय देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि धार्मिक नेता समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके योगदान को सम्मानित करना हमारी जिम्मेदारी है। AAP का कहना है कि दिल्ली सरकार इस योजना को लागू कर धार्मिक संतुलन और समानता को बढ़ावा देगी।


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