राज्यसभा में Abhishek Manu Singhvi की सीट से मिली नोटों की गड्डियां, सभापति ने की जांच की घोषणा

By Editor
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राज्यसभा में Abhishek Manu Singhvi की सीट से मिले नोटों की गड्डी: हंगामा और राजनीतिक प्रतिक्रिया

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद Abhishek Manu Singhvi की सीट से नोटों की गड्डी मिलने के बाद हंगामा शुरू हो गया है। यह घटना 5 दिसंबर 2024 को हुई, जब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में जानकारी दी कि उनकी सीट (222) से 500 रुपये के नोटों की एक गड्डी बरामद की गई है। इस घटना ने न केवल संसद के अंदर हलचल मचाई, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी बवाल खड़ा कर दिया।

Abhishek Manu Singhvi का आरोपों से इंकार

यह मामला तब सामने आया जब राज्यसभा की कार्यवाही समाप्त होने के बाद सुरक्षा अधिकारियों द्वारा एक नियमित जांच के दौरान सीट संख्या 222 से 500 रुपये के नोटों की गड्डी बरामद की गई। इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तेलंगाना से निर्वाचित सांसद अभिषेक मनु सिंघवी बैठते हैं। खबरें आ रही थीं कि वहां 50 हजार रुपये की राशि बरामद हुई है। हालांकि, Abhishek Manu Singhvi ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है।

Abhishek Manu Singhvi इस मामले में अपनी सफाई देते हुए कहा, “मैं जब भी राज्यसभा जाता हूं, तो 500 रुपये का नोट लेकर जाता हूं। यह पहली बार है जब मुझे इस तरह की कोई जानकारी मिली है।” सिंघवी ने बताया कि वे दोपहर 12:57 बजे सदन पहुंचे और एक बजे तक बैठने के बाद, वे सांसद अवधेश प्रसाद के साथ कैंटीन में बैठकर 1:30 बजे तक संसद से चले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी भी प्रकार की घेराबंदी या जांच से पहले बिना पुष्टि के नाम लेना उचित नहीं है।

सदन में राजनीतिक बवाल और कांग्रेस का विरोध

सदन में जब सभापति ने इस मुद्दे की जानकारी दी, तो कांग्रेस सांसदों ने विरोध जताया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “पहले जांच हो, फिर ही किसी का नाम लिया जाए।” उनका कहना था कि बिना जांच के आरोप लगाना असंविधानिक और गलत है। कांग्रेस का तर्क था कि किसी भी सदस्य को इस तरह से शर्मिंदा करना उचित नहीं है, जबकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है।

सुरक्षा जांच और कांग्रेस की स्थिति

राज्यसभा की सीट संख्या 222 के नीचे से मिले नोटों की गड्डी को लेकर सुरक्षा अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट दी है। हालांकि, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि यह घटना संसद की गरिमा को आहत करने वाली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले की कानून के अनुसार जांच की जाएगी।

“कल (5 दिसंबर 2024) को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद, नियमित जांच के दौरान सुरक्षा अधिकारियों ने सीट नंबर 222 से नोटों की गड्डी बरामद की। यह सीट वर्तमान में अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। कानून के अनुसार जांच की जाएगी,” सभापति ने बताया।

बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मामले को गंभीर बताया और इसे संसद की गरिमा के खिलाफ एक बड़ी घटना माना। उन्होंने कहा, “यह घटना बहुत गंभीर है। यह सदन की गरिमा पर चोट है। किसी भी मुद्दे पर गुस्सा दिखाना और किसी दूसरे मुद्दे पर चुप रहना ठीक नहीं है।” नड्डा ने इस मामले की जांच की जरूरत को भी बल दिया और विश्वास व्यक्त किया कि इस मामले में जांच सही तरीके से होगी।

उन्होंने मल्लिकार्जुन खरगे पर सवाल उठाते हुए कहा, “आप कह रहे हैं कि जांच होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में नाम लेने से पहले विरोध क्यों किया गया?” खरगे ने इस आरोप को खारिज किया और कहा कि उनकी पार्टी ने कभी यह नहीं कहा कि जांच नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि जांच हो, लेकिन बिना ठोस साक्ष्य के किसी को आरोपी नहीं ठहराया जाना चाहिए।

सदन की गरिमा पर सवाल

इस मामले के उजागर होने के बाद कई राजनीतिक और संसद के जानकारों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने इसे संसद की गरिमा पर आघात माना है, वहीं कुछ का कहना है कि इस मामले की जांच पारदर्शिता से की जानी चाहिए ताकि किसी भी गलतफहमी या आरोप से बचा जा सके।

सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, जब नोटों की गड्डी बरामद हुई, तो इस बात का भी ध्यान रखा गया कि कोई भी गलत कार्यवाही न हो। हालांकि, यह घटना जितनी जल्दी सामने आई, उतनी ही तेज़ी से राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई। इससे यह भी साफ होता है कि इस मामले का राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्व है और यह सीधे तौर पर विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच एक नया विवाद उत्पन्न कर सकता है।

कांग्रेस का रुख और विपक्ष की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने इस पूरे मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस घटना को राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि सदन में किसी भी सदस्य का सम्मान नहीं छीना जाना चाहिए। कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि यह मामला तब और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है जब बिना जांच के किसी सदस्य का नाम लिया जाता है और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जाता है।

विपक्ष के कई नेताओं ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कांग्रेस के समर्थन में आवाज उठाई और जांच के निष्कर्ष आने से पहले किसी भी प्रकार के आरोप से बचने की बात कही

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