Maharana Pratap के वंशज का राजतिलक समारोह, पत्थरबाजी में पुलिसकर्मी भी घायल

By Editor
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Maharana Pratap के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक, विवाद और पत्थरबाजी के बीच हुआ समारोह

मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सोमवार को उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ का चित्तौड़ किले में परंपरा के अनुसार राजतिलक हुआ। इस समारोह के दौरान एक ओर जहां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं का पालन किया गया, वहीं दूसरी ओर समारोह के दौरान कुछ विवाद और पत्थरबाजी की घटनाएं भी सामने आईं। इस दौरान पुलिसकर्मी भी घायल हुए और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।

Maharana Pratap के वंशज के रूप में राजगद्दी पर आसीन हुए विश्वराज सिंह मेवाड़

महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को मेवाड़ के 77वें दीवान के रूप में राजगद्दी पर आसीन किया गया। यह घटना ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि मेवाड़ के राजघराने का संबंध सीधे तौर पर Maharana Pratap से जुड़ा हुआ है। Maharana Pratap ने अपने समय में मेवाड़ के स्वाभिमान और स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया था, और उनके वंशज आज भी उस गौरवमयी इतिहास को जीवित रखते हैं।

विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक समारोह में चित्तौड़ किले के ऐतिहासिक परिसर में परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन किया गया। इस अवसर पर मेवाड़ के कई सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया और Maharana Pratap के वंशज के रूप में उनके महत्व को सम्मानित किया। समारोह के दौरान राजघराने की परंपराओं के अनुसार विशेष पूजा-अर्चना की गई और देवताओं से आशीर्वाद लिया गया।

विवाद और पत्थरबाजी की घटनाएं

हालांकि, इस समारोह के दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई जब कुछ असमाजिक तत्वों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। यह घटना रात के समय हुई, जब विश्वराज सिंह मेवाड़ को उदयपुर स्थित सिटी पैलेस में धूणी के दर्शन के लिए जाना था। परंतु, उन्हें देर रात तक दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे विवाद और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।

इस बीच, पत्थरबाजी की घटना के बाद स्थानीय पुलिस को मौके पर तैनात किया गया। पुलिसकर्मियों को भीड़ को नियंत्रित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, और इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पत्थरबाजी और हिंसा की यह घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई, और स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कड़ी कार्रवाई की। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया।

पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई

घटना के बाद पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए जल्द ही कार्रवाई शुरू की। चित्तौड़ किले और आसपास के इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया ताकि और कोई अप्रिय घटना न हो सके। पुलिस ने आरोपियों की पहचान करने के लिए जांच शुरू की और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके। स्थानीय प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए और उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का वादा किया।

राजतिलक के बाद राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक समारोह का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण रहा। जहां एक ओर यह समारोह मेवाड़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करने का एक मौका था, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर कुछ राजनैतिक मतभेद भी उभरकर सामने आए। समारोह के बाद कई राजनीतिक नेताओं ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं और सामाजिक सामंजस्य बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सामाजिक दृष्टि से, यह राजतिलक मेवाड़ के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक पल था, क्योंकि यह उन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का एक और अवसर प्रदान करता है। हालांकि, समारोह के दौरान उत्पन्न हुई हिंसा और विवाद ने इस ऐतिहासिक अवसर को हंसी-ठिठोली से बाहर कर दिया, और इसे सुसंस्कृत माहौल में मनाने की उम्मीद को तोड़ा।

Maharana Pratap की धरोहर और आधुनिक समय

Maharana Pratap का इतिहास और उनकी धरोहर आज भी मेवाड़ के लोगों के दिलों में बसी हुई है। उनका संघर्ष, साहस और देशभक्ति आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। हालांकि, आज के समय में कई तरह के सामाजिक और राजनीतिक विवादों के बीच Maharana Pratap के वंशजों का यह राजतिलक समारोह मेवाड़ के गौरव को याद करने का एक मौका था, परंतु पत्थरबाजी जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि समाज में बहुत कुछ बदलने की आवश्यकता है।

इस विवाद के बावजूद, मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहर और Maharana Pratap का योगदान समय के साथ निरंतर जीवित रहेगा। यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह के ऐतिहासिक अवसरों पर समाज शांति और एकता बनाए रखे, ताकि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए हम आगे बढ़ सकें।

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